Sunday, March 7, 2010

Sunday Message - God wants us to be Victorious/परमेश्वर हमें विजयी देखना चाहता है

 

परमेश्वर हमें विजयी देखना चाहता है

क्या आप महसूस करते है कि अपने सारे प्रयत्नों के बाद भी आप परमेश्वर के उत्तम आशीषो से वंचित हैं?

क्या यही परमेश्वर की इच्छा है आपके लिए?
पढ़ें उत्पत्ति 1:26, 28
फिर परमेश्वर ने कहा, "हम मनुष्य को अपने स्वरुप में, अपनी समानता के अनुसार बनायें | और वे समुद्र की मछलियों और आकाश के पक्षियों पर तथा घरेलु पशुओं और सारी पृथ्वी और हर एक रेंगने वाले जंतु पर जो पृथ्वी पर रेंगता है, प्रभुता करें |

परमेश्वर ने उन्हें आशीष दी, और उनसे कहा, "फूलो-फलो और पृथ्वी में भर जाओ और उसे अपने वश में कर लो, और समुद्र की मछलियों तथा आकाश के पक्षियों और पृथ्वी पर चलने-फिरने वाले प्रत्येक जीव-जंतु पर अधिकार रखो |

अगर मैं कहूँ कि जहाँ मनुष्य लिखा है वहां आप अपना नाम लगायें तो आप इसे कुछ इस तरह से पढेंगे -

फिर परमेश्वर ने कहा, "हम नीता को अपने स्वरुप में, अपनी समानता के अनुसार बनायें | और नीता समुद्र की मछलियों और आकाश के पक्षियों पर तथा घरेलु पशुओं और सारी पृथ्वी और हर एक रेंगने वाले जंतु पर जो पृथ्वी पर रेंगता है, प्रभुता करें |

परमेश्वर ने नीता को आशीष दी, और नीता से कहा, "फूलो-फलो और पृथ्वी में भर जाओ और उसे अपने वश में कर लो, और समुद्र की मछलियों तथा आकाश के पक्षियों और पृथ्वी पर चलने-फिरने वाले प्रत्येक जीव-जंतु पर अधिकार रखो |

क्या आप देख सकते हैं कि परमेश्वर हमसे कितना प्यार करता है और सब कुछ देना चाहता है, लेकिन फिर भी मनुष्य जीवन में संघर्ष करता है, आशीषों से वंचित है ऐसा क्यों?

पढ़ें होशे 4:6
अज्ञानता के कारण मेरी प्रजा नाश हो जाती है

कई बार हम देखते हैं कि आत्मिक, मानसिक, भावात्मक और आर्थिक रूप से प्रगति करते-करते किसी एक एरिया में हम सारे प्रयास के बाद भी अटक जातें हैं

ठीक या नहीं?

अवश्य ही तुम्हारा शत्रु नहीं चाहता कि तुम इस सामर्थी शिक्षा को जान पाओ, लेकिन परमेश्वर का धन्यवाद करो, कि आज ये तुम पर प्रकट हो गयी है

बोलो- मैं अज्ञान ना रहूँगा, क्योंकि परमेश्वर ने मेरी आँखें खोल दी है

पढ़ें 1 कुरिन्थियों 15:57
परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो जो हमें प्रभु यीशु के द्वारा विजयी करता है

क्या तुम जानते हो, कि परमेश्वर की संतान होने के नाते तुम्हारा जीवन विजयी है?

पढ़ें 1 युहन्ना 5:4
क्योंकि जो कुछ परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है, वह संसार पर जय प्राप्त करता है

बोलो- मैं विजयी हूँ, शैतान हार गया है

तुम परमेश्वर के राज्य में हो

परमेश्वर चाहता है कि तुम अपने जीवन के हर क्षेत्र में विजयी हो

लेकिन कभी-कभी हम संघर्ष करते हैं

कुछ ठीक नहीं होता है

हमें लगता है परमेश्वर हमारे साथ नहीं है

कुछ लोग कहते है, "जो होता है होने दो, यही हमारे भाग्य में है"

लेकिन बाइबल ऐसा नहीं कहती है

ये शैतान का झूठ है

फिर परमेश्वर मेरे और तुम्हारे बारे में क्या कहता है

पढ़ें यिर्मयाह 29:11
यहोवा कहता है कि मैं उन योजनाओं को जनता हूँ, जिन्हें मैंने तुम्हारे लिए बनाई हैं, ऐसी योजनायें जो हानि की नहीं परन्तु तुम्हारे कुशल की हैं कि तुम्हें उज्जवल भविष्य और आशा दूं |

मित्र इस वक्त आप कहाँ हैं?

बोलो- परमेश्वर की अति उत्तम मर्जी में

क्या आप जानते है बाइबल में 430 बार आशीषों और 160 बार श्रापों के बारे में बताया गया है

इसका मतलब है परमेश्वर आशीष के बारें में सिखाना चाहता है और हमें श्रापों से मुक्ती दिलाना चाहता है

लोग ये क्यों नहीं पहचान पाते है कि वो आशीष में हैं या श्राप में ?

इसके दो कारण हो सकते है

1. वो ये पहचान नहीं सकते कि वो आशीष में हैं या श्राप में

2. और अगर वे समझतें है कि उन पर श्राप है पर जानते नहीं कि इससे कैसे छूटकारा पायें

आशीष और श्राप क्या है?

पढ़ें व्यवस्थाविवरण 28 जिसमें आशीष और श्राप का वर्णन है 

आशीष और श्राप को कैसे पहचाने?

आशीष का मतलब है - अच्छा स्वस्थ, हर क्षेत्र में उत्पादकता, सम्पदा, सफलता और परमेश्वर का अनुगृह

श्राप का मतलब है - बीमारी, जीवन के हर क्षेत्र में
बाँझपन, कमी, अशांति, गरीबी, पराजय और चिंताएं

ये श्राप हमारे जीवन में कैसे आ सकते हैं?

1. मानसिक और भावनात्मक समस्याओं के जरिये, जैसे निराशा, क्रोध,और चिंताएं इत्यादि

2. लम्बे समय से बीमार या वंशानुगत बीमारी

3. गर्भपात, हमेशा शुरुआत अच्छी होना लेकिन आगे फेल हो जाना

4. पारिवारिक समस्याएं, तलाक, साथ-साथ रहना पर अलगाव

5. आर्थिक समस्याएँ, अच्छा कमाना पर बीमारी में पैसा खर्च हो जाना, संपत्ति ठग लिया जाना

6. दुर्घटनाएं, चलते-चलते गिर जाना, भीड़ जाना, खाना बनाते हुए अक्सर जल जाना इत्यादि

7. परिवार में कम उम्र में मौत, आत्महत्या या अचानक मौत

क्या आप एक क्षण के लिए रुकेंगे और देखेंगे कि आप कहाँ हैं?

बोलो- मैं आशीषों की ओर जा रहा हूँ

किस कारण वश श्राप जीवन में आतें हैं?

1.  परमेश्वर के वचनों पर ना चलाना

2. परमेश्वर के अतिरिक्त अन्य की उपासना कराना

3. माता-पिता की आज्ञा ना मानना

4. अवैध या गलत संबंधों का होना

5. कमज़ोर और अनाथ के प्रति अन्याय

6. परमेश्वर के बजाय मनुष्य पर भरोसा

7. परमेश्वर के प्रति किये गए वायदे पूरे ना करना

8. परमेश्वर के राज्य में देने में कंजूसी

9. बड़े या पद में ऊँचें लोगों द्वारा बोले वचन

10. स्वयं के लिए बोले गए शब्द

11. तांत्रिक, भविष्य वक्ताओं के द्वारा बोले या लिखे गए वचन

12. स्वार्थ प्रार्थनाएं

13. वंशानुगत श्राप का आ जाना

क्या तुम अब ये समझ सकते हो?

क्या तुम चाहते हो कि परमेश्वर तुम्हें छुटकारा दिला दे?

मुझे एक बात बताओ- जब तुम शरीर से बीमार होते हो तो क्या करते हो?

तुम डॉक्टर के पास जाते हो और दावा खाते हो

तुम धीरे-धीरे ठीक हो जाते हो

ठीक उसी तरह जब हम आध्यात्मिक समस्याओं से परेशान होतें हैं हमें अवश्य ही परमेश्वर के वचनों को, उसके वायदों को दोहराते रहना  चाहिए

क्या आपके पास  ये प्रश्न है कि हम किस तरह श्रापों से मुक्ती पायें?

पढ़ें गलातियों 3:13-14
मसीह ने व्यवस्था के श्राप से हमें मूल्य चुका कर छुड़ाया, और स्वयं हमारे लिए शापित बना, क्योंकि लिखा है, "जो कोई काठ पर लटकाया जाता है वह शापित है" यह इसलिए हुआ कि इब्राहिम की आशीष मसीह यीशु में गैर यहूदियों तक पहुंचे और हम विश्वास के द्वारा उस आत्मा को प्राप्त करें जिसकी प्रतिज्ञा की गयी है |

यीशु ने हमारे लिए सब कुछ संभव कर दिया है | अब हम बन्धनों से मुक्त करा दिए गएँ हैं

प्रार्थना करें-

प्रभु यीशु मैं विश्वास करता हूँ कि आप परमेश्वर के पुत्र हैं

आप क्रूस पर मेरे लिए चढ़ गए

आप क्रूस पर मेरे श्रापों के कारण चढ़े ताकि मैं आज़ाद हो सकूं

आप ने क्रूस पर साड़ी आशीषें देदी

मैं उन्हें यीशु के नाम पर स्वीकार करता हूँ मैं आप पर भरोसा करता हूँ आप कि दया के लिए धन्यवाद |

आपकी माफ़ी के लिए धन्यवाद

मैं अपने आप को हवाले करता हूँ

मैं आपके वचनों पर चलने का वायदा करता हूँ

मैं आपसे अपने और अपने दादा पर दादा के पापों की क्षमा मांगता हूँ

घोषणा करता हूँ -

मैं परमेश्वर की संतान हूँ

उसने मुझे अधिकार दिया है

मैं अपने आप को श्रापों से मुक्त घोषित करता हूँ

अब मैं पूरी तरह से मुक्त हूँ

पढ़ें युहन्ना 8:32 
तुम सत्य जानो गे और सत्य तुम्हें छुटकारा देगा

अन्नंद से भर जाओ

मेरी प्रार्थना तुम सब के लिए

प्रभु मैं इस सन्देश और इन लोगों के लिए धन्यवाद देती हूँ

मैं इनपर आपकी आशीषें छोड़ती हूँ जिन्हें परमेश्वर का पुत्र स्वतंत्र करदेता है वे अवश्य ही स्वतंत्र होजाते हैं

आपकी आशीष इन पर हों, समृद्धशाली हों, अनुग्रह हो, सम्मानीय हों, स्वस्थ हों,

सफल हो और आपकी आशीष बहुतायत से हों प्रभु यीशु के नाम पर

अमीन


God wants us to be Victorious

Have you ever experienced failure despite of all your best efforts?

Is this the will of God for you?

Read Genesis 1:26,28
Then God said, "Let us make man in our image, in our likeness, and let them rule over the fish of the sea and the birds of the air, over the livestock, over all the earth, and over all the creatures that move along the ground."

God blessed them and said to them, "Be fruitful and increase in number; fill the earth and subdue it. Rule over the fish of the sea and the birds of the air and over every living creature that moves on the ground

If you put your name in place of 'man', it will read something like this: - 
Then God said, "Let us make Neeta in our image, in our likeness, and let Neeta rule over the fish of the sea and the birds of the air, over the livestock, over all the earth, and over all the creatures that move along the ground."

God blessed Neeta and said to Neeta, "Be fruitful and increase in number; fill the earth and subdue it. Rule over the fish of the sea and the birds of the air and over every living creature that moves on the ground

Can you see how much God loves us and wants to bless us? but still man struggles and is deprived from complete blessings.

Read Hosea 4:6
My people are destroyed from lack of knowledge

Many times we see a person who is born again and whose sins are forgiven, but still his progress is been hindered by an invisible force.

Right?

Definitely your enemy the devil does not want you to receive the powerful revolutionary teaching, but thank the Lord who has revealed it to you.

Say - I am not an ignorant because God has opened my eyes

Read 1 Corinthians 15:57 
But thanks be to God! He gives us the victory through our Lord Jesus Christ.

Do you know, as a child of God you are born into a life of victory?

Read 1 John 5:4
For everyone born of God overcomes the world. This is the victory that has overcome the world, even our faith.

Say – I am an overcomer!

You are in the kingdom of God

God wants you to experience victory in every area of your life

But sometimes we see the struggle

Things do not work properly

We feel God is not with us

Some people say, "Whatever is happening is our fate"

But our Bible does not say this

This is the lie of the devil

Then what does the God say about you and I?

Let us read Jeremiah 29:11
For I know the plans I have for you," declares the LORD, "plans to prosper you and not to harm you, plans to give you hope and a future.

So my dear friends where are you right now?

Say – Under the perfect will of God.

Do you know Bible talks 430 times about blessings and 160 times about curses.

It means our God wants to teach us about blessings and see us free from curses.

Why are people unable to understand if they are under curse or under blessings?

There are two reasons for that

1. They do not know how to recognize what are blessings and curses
2. If they are under curse, they do not know how to come out of it.

What is blessings and curses?

If we read Deuteronomy 28, it tells all about blessings and curses. Read it in your time.

How to recognize a blessing and curse?

Blessing means – health, reproduction in every area of life, prosperity, success and God’s favor.

Curses means – sickness, barrenness in every area of life, lack, no peace in the family, poverty, defeat, worries.

How can these curses come into our lives?

1. Through mental and emotional problems like depression, anger, and worries etc.
2. Sickness for a long time and hereditary  
3. Miscarriages( You start of something really well, but then it fails afterwards) , and female related problems
4. Family problems, divorce, staying together but not happy with each other
5. Financial problems, you get good money but goes in sickness, people grab your property etc.
6. Accidents in the family, slipping while walking, getting burnt while cooking/baking, fractures etc.
7. History of suicides and premature death in the family etc.

Can you check yourself where are you right now?

Say- I am moving towards blessings.

What can be the causes of curses?

1. Not obeying God’s word. Read Deuteronomy 28:15
2. Praying to false gods. Read 1 Samuel 15:22,23
3. Not respecting parents. Read Ephesians 6:1-3
4. Illicit relationship
5.  Injustice to the weak or the helpless
6.  Trusting in men. Read Jeremiah 17:5
7. Not fulfilling promises to God. Ecclesiastes 5:4-5
8. Not giving in the kingdom of God freely. Read Malachi 3:8-10
9. Curse spoken by the people sitting in authority.
10. Self spoken words
11. Spoken or written words by witches, mediums etc . Read Deuteronomy 24:4-5
12. Selfish prayers, gossip. Read James 3:14-15
13. Generational curses passed from forefathers. Read Exodus 20:1-6

How can you see yourself now?

Do you want God to set you free?

Tell me one thing, when you are sick in your body what do you do?

Yes, you go to doctor and eat medicine for days.

Then slowly you become better and strong

Now you must know when you suffer from spiritual problems, you must keep repeating God’s promises and keep breaking the trouble from your life.

Then slowly you will find yourself strong and free from trouble

Let us know how can we be free from curses and go towards blessings?

Read Galatians 3:13-14
Christ redeemed us from the curse of the law by becoming a curse for us, for it is written: "Cursed is everyone who is hung on a tree." He redeemed us in order that the blessing given to Abraham might come to the Gentiles through Christ Jesus, so that by faith we might receive the promise of the Spirit.

Now you can see Jesus has done everything. It is finished now. No more bondage now.

Say - I put my trust in the word, I will obey God, I confess all my sins and sins of my forefathers, I forgive everyone who has hurt me, I will worship God only in spirit and truth,I am now free from all the bondages.

Now pray loudly-

Lord Jesus I believe that you are the Son of God

You died on the cross for my sins

You were made a curse on the cross so that I can be set free

You gave us all blessings on the cross

I receive it in the name of Jesus

I trust you now

I thank you for your mercy

I thank you for your forgiveness

I commit myself into your hands

I promise to obey you and your words

I ask you to forgive my sins and sins of my forefathers,

Now I am a child of God

He has given me the authority

I release myself from every curse

Now I am completely free

Read John 8:32
Then you will know the truth, and the truth will set you free.

Be filled with joy

My prayer for all of you

Lord I thank you for this message,

I thank you for these people

I bless them and declare that whom the Son sets free is free indeed

I release blessings upon them

I say they are here to prosper

I say they are favored

I say they are respected

I say they are healthy

I say they are successful

God bless them richly.

In Jesus name I pray.

And everybody say—

Amen!

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