Saturday, February 27, 2010

Sunday Message - What are you prophesying? / आप क्या भविष्यवाणी कर रहें हो?

What are you prophesying?
आप क्या भविष्यवाणी कर रहें हैं?

स्मरण रहें संताने परमेश्वर की ओर से विरासत और उपहार हैं | क्या आप अपनी विरासत को व्यर्थ जाने देंगे?
नहीं!
पढ़ें भजन संहिता 127:3
देखो, बच्चे परमेश्वर के दिए हुए दान हैं, गर्भ का फल उसकी ओर से प्रतिफल है |
बोलो - मेरी संताने परमेश्वर की ओर से  इनाम हैं और अति अनुगृहित हैं
पढ़ें लुका 15:11-24
फिर यीशु ने कहा, "किसी मनुष्य के दो पुत्र थे; और उनमें से जो छोटा था, उसने पिता से कहा, "हे पिता संपत्ति का जो भाग मेरे हिस्से में आता है, मुझे दे दो "| उसने अपनी धन संपत्ति उसमे बाँट दी | बहुत दिन ना बीते कि छोटा सब कुछ एकत्रित कर के दूर देश को चल दिया उसने अपनी संपत्ति कुकर्म में उड़ा दी | जब वह सब कुछ उड़ा चुका तो उस देश में भयंकर आकाल पड़ा और वह दरिद्र हो गया | और वह जाकर उस देश के एक नागरिक के यहाँ काम पर लग गया | उसने उसे खेत पर सूअर चराने भेजा | उसे बड़ी उत्कंठा हुई कि वह उन फलियों से जो सूअर खा रहें थे अपना पेट भरे ; और उसे कोई कुछ नहीं देता था |परन्तु जब वह होश में आया तो उसने कहा , "मेरे पिता के यहाँ कितने ही मजदूरों को पेट भर कर भोजन मिलता है पर मैं यहाँ भूखों मर रहा हूँ |मैं उठकर अपने पिता के पास जाऊँगा और उससे कहूँगा, "हे पिता मैंने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है | मैं अब तेरा पुत्र कहलाने योग्य नहीं रहा, मुझे अपना एक मजदूर समझ कर रख ले" | वह उठ कर अपने पिता के पास चला आया |परन्तु जब वह अभी दूर ही था, उसके पिता ने उसे देखा और तरस खाया, अतः उसने दौड़ कर उसे गले लगाया और चूमा, पुत्र ने उससे कहा, "हे पिता मैंने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है  मैं अब तेरा पुत्र कहलाने योग्य ना रहा "| परन्तु पिता ने अपने दासों से कहा, "अच्छे से अच्छा वस्त्र शीध्र लाओ और उसे पहनाओ और उसके हाथ में अंगूठी और पैर में जूतियाँ पहनाओं , और एक मोटा बछड़ा लाकर काटों कि हम खाएं और आनंद मनाएं क्योंकि मेरे वह पुत्र मर गया था अब जीवित हो गया है, वह खो गया था अब मिल गया है | और वे आनंद मनाने लगे |
इस दृष्टांत में पिता ने कभी भी अपने पुत्र को नहीं त्यागा, लेकिन हमेशा उसके लौटने की इच्छा की | इससे पता चलता है कि उसने अपने पुत्र के लौटने की प्रार्थना की | कई बार हम देखते हैं कि बच्चे अपने आचरण के द्वारा माता-पिता का दिल तोड़ देते हैं, फिर भी माता-पिता का दिल क्षमा से भरा होता है |
आज की दुनिया बुराइयों से भरी है उसका कारण अगर मैं कहूँ माता-पिता के द्वारा बोले गए शब्द है तो अतिश्योक्ति ना होगा | याद रखे - परिवार से सामाज है, और सामाज से देश|
आज जो भी है वो कल की बोआई  का परिणाम है, ये हमारे द्वारा बोले गए आशीष वचन या  कोसे वचन हैं |
बोले हुए वचन आत्मिक हैं और उनमें जीवन है | ये वही वचन हैं जो आत्मिक जगत में चले गए और उसके अनुसार अपना काम कर रहें हैं |
मेरे एक प्रश्न है, आप अपने बच्चों के जीवन में क्या भविष्यवाणी कर रहें हैं?
.....?
फिर हमें क्या कराना चाहिए ?
कुछ ख़ास बातें हैं जिन्हें हम हमेशा याद रखें-
1 . हमेशा अपनी संतानों के लिए प्रार्थना करें
2 . याद रखें जितना बड़ा बच्चा उतनी ज्यादा प्रार्थनाएं
3 . माता-पिता को पहल करनी पड़ेगी
4 . भले ही उन्होंने आपका दिल तोडा हो फिर भी उन्हें गले लगाने के लिए तैयार रहिये
5 . और याद रखिये, अगर आप अभिवावक हैं तो बच्चा पालना ( पैरेंटिंग ) सदैव के लिए है
आप क्या कर रहें हैं ???

आप अपने बच्चों के जीवन में क्या भविष्यवाणी कर रहें हैं?
हम जो भी स्वाभाविक तौर से देखतें है वो पहले आत्मिकता में हैं
जैसे कि किसान एक बीज को बोते वक्त उसकी फसल को देख लेता है
मेरा बेटा उन्नीस साल का है, लेकिन कभी-कभी हम उसके भविष्य के बारे में बातें करते हैं
उसकी पत्नी और संतानों के बारे में, जबकि अभी उसका विवाह नहीं हुआ है
क्योंकि बोले गए शब्द आत्मिक हैं और उसके अनुसार उसका प्रतिफल है
इस बात को मैं इस तरह से समझाने की कोशिश करूंगी, बोले गए शब्द बीज की तरह है और वे अवश्य ही फसल लायेंगे
पिछले साल नवम्बर में मेरे बेटे ने अपने आगे की पढ़ाई के  लिए एक अमेरिका की यूनीवर्सिटी में अप्लाई किया | यह सब इतना आसान नहीं था | यूनिवर्सिटी की मांग थी कि वह अपनी हाई स्कूल की मार्क-शीट का मूल्यांकन कराये फिर भेजे तब वे उसकी अप्लिकेशन को या तो शामिल करेंगे या नहीं |
11th नवम्बर हो चुकी थी, 25 नवम्बर आखिरी तारीख थी , समय थोड़ा था और काम बड़ा |
तंज़ानिया से उसकी मार्क-शीट इंडिया भेजना, इंडिया से मोहर लगकर होकर वापस आना, WES मूल्यांकन कंपनी  को भेजना फिर वहां से यूनिवर्सिटी को
इसका मतलब एक महीने का समय, उसकी अपलिकेशन अगर देर से पहुँची तो वह स्कोलरशिप की प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले सकता था,  ऐसे में हमलोगों ने तुरंत परमेश्वर के आगे प्रार्थना की
परमेश्वर ने यहोशू से मुझे वचन दिया और हम तुरंत उस शब्द पर खड़े हो गए
चलिए पढ़ते है, यहोशू 10:12-14
उस दिन यहोवा ने एमोरियों को इस्राएलियों के वश में कर दिया | इसलिए यहोशू ने इस्राएलियों के सामने यहोवा से कहा, " हे सूर्य गीबोन पर और हे चन्द्रमा तू अय्यालोना की तराइयों पर ठहर जा"| और सूर्य उस समय तक थमा रहा और चन्द्रमा ठहरा रहा, जब तक की उस जाति ने शत्रुनों से बदला ना ले लिया |

मैंने बोलना शुरू किया कि जब तक मेरे बेटे की अपलिकेशन नहीं पहुँच जाती आखिरी तारीख ना आयेगी
हमारे लिए सूर्य खड़ा रहेगा | हमारे बेटे की अप्लिकेशन वहां 4 दिसंबर को पहुँची और ना केवल उन्होंने उसकी अप्लिकेशन स्वीकार की बल्कि उसका नाम ऑनर्स कोर्स में शामिल कर लिया |
परमेश्वर की महीमा हो, ये बोले गए शब्दों की सामर्थ है | जिस तरह का शब्द बोला जायेगा वो उस तरह का काम करेगा |
पढ़ें यशायाह 55:11
उसी प्रकार से मेरे मुंह से निकलने वाला वचन, वह व्यर्थ ठहर कर मेरे पास ना लौटेगा, वरन मेरी इच्छा पूरी करेगा और जिस काम के लिए यीन भेजा है उसे पूरा करके ही लौटेगा |
तो हम लोग जीवन की चर्चा कर रहें है और शब्द जीवन है | ये किसी को खुश कर सकतें हैं तो किसी को दुखी |
पढ़ें नीतिवचन 18:21
जीभ के वश में मृत्यु और जीवन दोनों होतें है, जो उससे प्रेम रखतें है वे उसका फल पायेंगे |

तुम्हारे पास क्या है ?
बोलो- जीवन और भरपूर जीवन
इस मौसम में ज़रूरी है कि मैं अपने दिल की बात बोलूं
बचपन में मैंने अपने पापा को होली जलाते, हरा चना भूनते, गुजिया चडाते और फिर उसे खाते देखा है|
उस "चिता" की राख को गालों पर मलते फिर होली की शुभकामनाएं देतें सुना है |
चिता से हमारा क्या लेना देना?
जैसे-जैसे मैं बड़ी हुई विचार करने लगी "होली की शुभकामनाएं" कैसे हो सकती है होलिका तो दुष्ट थी |
ये तो कुछ ऐसा सा है कि दशहरा पर लोग "रावन की शुभकामनाएं" दें?
लोग किसका प्रमोशन कर रहें है???????
अगर मुझे होलिका के चरित्र का वर्णन कराना हो तो मैं कहूंगी -
वह निर्दयी, ईर्ष्यालु, घमंडी, अधर्मी, और दुष्ट थी
जब हम प्रहलाद के बजाय होलिका का प्रमोशन करतें है तो सोचो हम क्या हर रहें हैं ???
यह अति गंभीर विषय है
मेरे पास एक प्रश्न है - क्या आप किसी को अपने गालों पर चिता की राख मलने देंगे ?
चिता की आग पर भुना खाना खाने देंगे?
होलिका मर चुकी है
लेकिन फिर भी हम परमेश्वर की  भलाई के बजाय होली की शुभकामनायें सुनतें है?
हम लोग वाद-विवाद कर सकतें है, व्याख्याएँ दे सकतें है, लेकिन यह वह नहीं है जिसकी मुझे खोज है
मैं एक बात जानती हूँ यीशु पाप को मारने आया |
पढ़ें  1 युहन्ना 3:8
जो पाप करता है वह शैतान से है क्योंकि सैतान आरम्भ से ही पाप करता आया है, परमेश्वर का पुत्र इस अभिप्राय से प्रकट हुआ कि शैतान के कार्य का नाश करे |
हम अभी तक राख से खेल रहें है और दुष्टता के बीजों को पनपने दें रहें है, जबकि ज़रुरत है कि हम अच्छी और भलाई के बीज बोयें
कैसी राख है तुम्हारे पास आज के दिन?
तुम अपने प्रिय जनों के जीवन में क्या बोने की कोशिश कर रहें हो?
आप उनके जीवन में क्या बो रहें हैं?
क्या ये शब्द हतोत्साहित, असफल और असंतुष्ट  करने वालें हैं ?
प्रिय मित्र अब यह समय है कि हम सत्य को समझें और दुष्ट को हमारे परिवार को तकलीफ ना देने दें|
अब यह समय है कि अपने बच्चों के जीवन में- साहस, सफलता, आज्ञाकारिता, विश्वसनीयता, प्यार, दया, अति फेवर से भरा(अनुगृहित), और समृद्धिशाली वचन बोलें |
सोचो, क्या होगा जब तुम अपने प्रिय-जनों पर सकारात्मक वचन बोलना शुरू कर दोगे ?
बोलो- उनके जीवन में यह कई गुना हो जांएगे
अब अपने स्थान पर खड़े हो

पढ़ें मत्ती  18:18
मैं तुम से कहता हूँ जो तुम पृथ्वी पर बाँधोगे वह स्वर्ग में बंधेगा, और जो कुछ तुम पृथ्वी पर खोलोगे वह स्वर्ग  पर खुलेगा |
चलो, बांधातें है उस दुष्ट आत्मा को जो हमारे शब्दों के कारण खुली पड़ी है, और उसे वचनों की सामर्थ से नष्ट कर देतें हैं 
अब अनुशाशन, साहस, सफलता, आज्ञाकारिता, विश्वसनीयता, प्यार, भलाई, फेवर और सम्पन्नता की आत्मा छोड़तें हैं
पढ़ें व्यवस्थाविवरण 30:19
आज मैं स्वर्ग तथा पृथ्वी को तुम्हारे विरुद्ध साक्षी ठहरता हूँ कि मैंने तुम्हारे सामने जीवन तथा मृत्यु और आशीष तथा श्राप रखा है अतः जीवन को चुन लें कि तू अपनी संतान सहित जीवित रहें
जब तुम परमपिता परमेश्वर के पास लौटे हो तो वह तुम्हारे पापों को क्षमा कर देता है |
वह तुम्हें और तुम्हारे परिवार को आशीषित कर देता है
मेरे साथ प्रार्थना करें -
पिता परमेश्वर हर दिन हम बहुत सारी बातों का चुनाव करते है, उनमें से कुछ भली होती है और कुछ बुरी | लेकिन आज के दिन मैं भली और अच्छी बातें बोलने का चुनाव करता हूँ,
मेरे सभी गलतियाँ और आज तक के सभी पाप क्षमा हों
मैं यीशु के लिए धन्यवाद देता हूँ कि वह मेरे पापों से मुझे मुक्ति दिलाने के लिए दुनियां में आया, मरा और फिर जी उठ ताकि मैं जी संकूं | मैं आज के दिन अपने और अपने परिवार के जीवन में जीवन और वो भी भरपूर की भविष्यवाणी करता हूँ |
धन्यवाद यीशु, मेरे जीवन में आओ और मेरा  नाम स्वर्ग की पुस्तक में लिख लो
यीशु के नाम पर
आमीन





What are you prophesying?

Remember children are heritage and gift from God. Will you let your heritage go a waste?
No!
Read Psalms 127:3 (NIV)
Sons are a heritage from the LORD, children a reward from him.
Say – My children are a reward from God, and they are highly favored
Read Luke 16:11-24 (NIV)
Jesus continued: "There was a man who had two sons. The younger one said to his father, 'Father, give me my share of the estate.' So he divided his property between them. "Not long after that, the younger son got together all he had, set off for a distant country and there squandered his wealth in wild living. After he had spent everything, there was a severe famine in that whole country, and he began to be in need. So he went and hired himself out to a citizen of that country, who sent him to his fields to feed pigs. He longed to fill his stomach with the pods that the pigs were eating, but no one gave him anything.
"When he came to his senses, he said, 'How many of my father's hired men have food to spare, and here I am starving to death! I will set out and go back to my father and say to him: Father, I have sinned against heaven and against you. I am no longer worthy to be called your son; make me like one of your hired men.' So he got up and went to his father.
"But while he was still a long way off, his father saw him and was filled with compassion for him; he ran to his son, threw his arms around him and kissed him.
"The son said to him, 'Father, I have sinned against heaven and against you. I am no longer worthy to be called your son.'
"But the father said to his servants, 'Quick! Bring the best robe and put it on him. Put a ring on his finger and sandals on his feet. Bring the fattened calf and kill it. Let's have a feast and celebrate. For this son of mine was dead and is alive again; he was lost and is found.' So they began to celebrate.
In this parable the father actually never gave up but always longed for his return. It shows, he must have prayed for his son’s return. Sometimes we see children breaking the hearts of their parents through their behavior but we can still find the parent’s heart full of forgiveness.
Today’s world is becoming evil and it is the result of our spoken words, which are spirits who have gone out and are performing as per our spoken words.
Then what should we do?
Remember few important points-
1.      Prayer is the best thing you can do 
2.      Remember older the child grows more you need to pray
3.      As a parent you need to take an initiative 
4.      Be ready to receive them even if they have disappointed you
5.      Remember if you are a parent, then parenting is forever
What are you prophesying on your children’s life?


Whatever we see in the natural, it happens first in the spiritual.
My son is 19 but sometimes we talk about his wife and children
How come?, he is not yet married but we still plan and say something for his future
Spoken words are like seeds, it will definitely grow.
I can give you one example. It will help you to understand, the power of spoken words.
Last year in  November my son applied to a university for his further education. The process was not easy. As per the university’s demand, he was required to send his high school transcript (from ICSE) for evaluation and then university could accept him or reject him. It was 11th November, and the last date was 25th November. We were supposed to send his documents from Tanzania to India  and, then from India back to us, then to get it attached with the present school’s mark sheet, then to send to the evaluators (WES) in America, and then when we would receive the evaluation result from them, which is then sent to the university for acceptance. It means we needed at least a month for the process.
It was very important for him to send his application before the last date as he needed to appear for the whole person scholarship competition. Now delay means, you are out of the competition.
We were tensed, we began to pray. God gave me a word from Joshua.
Read Joshua 10:12-14 (NIV)
On the day the LORD gave the Amorites over to Israel, Joshua said to the LORD in the presence of Israel:
       "O sun, stand still over Gibeon, O moon, over the Valley of Aijalon."
So the sun stood still, and the moon stopped,  till the nation avenged itself on its enemies,
      as it is written in the Book of Jashar.
      The sun stopped in the middle of the sky and delayed going down about a full day. There has never been a day like it before or since, a day when the LORD listened to a man. Surely the LORD was fighting for Israel!
I began to speak, that the last date will not come until our son’s application reaches there.
For us the sun stands still. Our son’s application took 23 days. It reached their on the 4th of December and we heard from the university that they not only have accepted his application but also, because of his high  grades his name is on the honors roll.
Glory to God this is the power of spoken words. When you speak, it goes forth and does the work as per its nature.
Read Isaiah 55:11 (NIV)
So is my word that goes out from my mouth: It will not return to me empty,  but will accomplish what I desire  and achieve the purpose for which I sent it.
So, we are talking about life and words are life. It can make someone happy or sad
Read Proverb 21:18 (NIV)
The tongue has the power of life and death, and those who love it will eat its fruit.
What do you have?
Say –life and life more abundantly
In this season of festival I have something burning in my heart
1.      As a child I had seen my father going to bon fires, roasting grains, offering sweets, and later eating them.
2.      Rubbing the ashes on his face and saying Happy Holi.
As I grew I began to question myself, how can we call Happy Holi when she was evil.
To me it is same as someone saying Happy Raavan on Dashahra
I also wondered why we ate roasted grain from the fire.
To me Holika was burnt and that ash was actually the ash of the dead body of Holikaa.
Burning the fire and shouting Happy Holi
What did they actually promote????
When I think of these things it totally distorts the image of this festival
If I have to describe the character of Holika, I will say-
She was cruel, jealous, full of pride, full of evil power, ungodly, and an evil person
When we promote Holika, instead of Prahlaad, think what are we really promoting?
This is a very serious issue
I have a question, will you allow someone to rub the ashes from a dead body on you?
Will you eat the food which is roasted on the pyre of a dead person?
Holika is dead, but instead of listening about the goodness of God, we hear Happy Holi?
We can argue here and can come up with an explanation, but that is not what I am looking for I know one thing Jesus came to destroy the sin.
Read 1 John 3:8 (NIV) He who does what is sinful is of the devil, because the devil has been sinning from the beginning. The reason the Son of God appeared was to destroy the devil's work.

We are still playing with ashes and multiplying the seeds of evil around us, whereas we need to sow the seeds of goodness
What ashes do you have today,
What are you trying to apply to the life of your loved ones
What words are you speaking ?

Are these the words of discouragement, failure, or un-satisfaction?
Dear friends it is time for us to understand the truth and not to allow the evil one to trouble our family
It is time for you to speak upon your children -courageous, successful, obedient, faithful, loving and kind, highly favored and prosperous.
What will happen if you begin to speak positive words upon your loved ones
Say – it will multiply in their lives
Stand to your feet-

Read Matthew 18:18 (NIV) I tell you the truth, whatever you bind on earth will be bound in heaven, and whatever you loose on earth will be loosed in heaven.
Break the evil force of indiscipline, lust, stubbornness, rebelliousness and sexual sin
Let this spirit of holika which is loosed this day because of our own spoken words be destroyed by the power given to us
And loose the spirit of discipline, courage, success, obedience, faithfulness, loving and kindness, favor and prosperity.
Read Deuteronomy 30:19 (NIV) This day I call heaven and earth as witnesses against you that I have set before you life and death, blessings and curses. Now choose life, so that you and your children may live
When you return to father God He is ready to forgive your sins and He will bless you and your family
Pray with me-
Father, I pray in Jesus name -every day we make many choices, some are good and some are bad. But this day I have decided to ask you to forgive my sin.
I have come back to you.
I believe in my heart this is the reason Jesus came and died and rose from the dead.

Right now he is sitting at the right hand of father in heaven.
I choose this day to be right before God, thank him for Jesus and welcome Jesus in my heart.
Jesus write my name in the book of life. I declare my sins are forgiven and grace of God is upon me. I choose this day life and life abundantly
Amen!

Thursday, February 25, 2010

GoBible.org - Lesson 9 The Fruit of the Spirit is Meekness / आत्मा का फल नम्रता है (Matthew 11, Ephesians 4, 1 Peter 3) (मत्ती 11, इफिसियो 4, 1 पतरस 3)


Lesson 9 The Fruit of the Spirit is Meekness आत्मा का फल नम्रता है
(Matthew 11, Ephesians 4, 1 Peter 3) (मत्ती 11, इफिसियो 4, 1 पतरस 3)
Copr. 2010, Bruce N. Cameron, J.D. All scripture references are to the New International Version (NIV), copr. 1973, 1978, 1984 International Bible Society, unless otherwise noted. Quotations from the NIV are used by permission of Zondervan Bible Publishers. Suggested answers are found within parentheses. If you normally receive this lesson by e-mail, but it is lost one week, you can find it by clicking on this link: http://www.GoBible.org. Pray for the guidance of the Holy Spirit as you study.
परिचय : रसभरी  मेरा मनपसंद फल है | हालाँकि मै सभी फल पसंद करता हूँ, मुझे इस बारे में बहुत ही कम याद है कि कभी कोई सुंदर फल मैंने कड़वे स्वाद के कारण पसंद न किया हो | यदि मुझे आत्मा के फलों को एक क्रम में रखना पड़े, नम्रता मेरा रसभरी नहीं हो सकता | मत्ती 5:5 में यीशु के कथन को विचार में ले कि  नम्र ही पृथ्वी पर राज करेंगे | यह कैसे सही हो सकता है? मै  यह सोचता था कि जो आक्रामक और कड़ी मेहनत करता है वो ही सफल है|  मैंने कभी स्वयं मदद के उद्देश से पढ़ी  जाने वाली किसी भी पुस्तक में यह सुझाव नहीं पड़ा कि नम्रता सफलता का मार्ग है | नम्र होने के विचार में एक समस्या और आती है  कि ज्यादातर अनुवादों (NIV सहित) में ग्रीक शब्द का अनुवाद "भलाई," किया गया है नम्रता की अपेक्षाकृत | जब हम दुनिया के बीच होते हैं तब नम्र शब्द का क्या मतलब है? जब हम मसीह लोगों के बीच में होते हैं तब नम्र शब्द का क्या मतलब है? चलो बाइबिल के अध्य्यन में डुबकी लगा कर इस अप्रचलित फल के रहस्य  कि खोज करते हैं |
I.  एक नम्र परमेश्वर?
A पढ़े मत्ती 11:28-30. हमने यह वचन इस पढाई के दौरान बहुत बार देखा | NIV में शब्द "भलाई" दूसरी अन्य बाइबिल में "नम्र" अनुवादित किया गया है  | क्या नम्र यहाँ अच्छा  लगता है? क्या तुम यह चाहोगे कि यीशु यहाँ कोई दूसरा शब्द इस्तेमाल करता? (मैं यहाँ भलाई अथवा नम्र पसंद करता, क्योंकि यीशु मुझसे बात कर रहा है!)
एक टिप्पणीकार ने लिखा "नम्रता पूर्ण है, हमारी योजनाओं के लिए लड़ना छोड़ कर और विश्वास करें कि परमेश्वर हमारे लिए हमारी ओर से लड़ेगा
"तुम उस बयान के बारे में क्या सोचते हैं? (मेरी पहली प्रतिक्रिया थी, "ये पागलपन है!" मेरी अगली प्रतिक्रिया थी, "अगर हमारा प्लान परमेश्वर का प्लान नहीं है, मुझे यह समझ में आता है.")

a. क्या होगा अगर हम परमेश्वर के प्लान को अपना प्लान बनाने की कोशिश कर रहे हैं - क्या हमें लड़ना बंद कर देना चाहिए?
b. ध्यान  दें  कि मत्ती 11:29 हमारी आत्माओं के लिए 'आराम'. प्रदान करता है | यह क्या सुझाव देता है यीशु से विनम्रता (नम्रता) सीखने के बारे में ? (आत्मा का यह फल चैन या विश्राम की कुंजी है | अगर हम लड़ नहीं रहे हैं आराम बहुत आसान है!)
c. पाठ से पता चलता है कि 'यीशु की नम्रता हमारे जीवन को बेहतर बनाती है. कैसे? (हम यीशु का हमारे साथ कोमल होने के विचार की चर्चा करते है, लेकिन यीशु कहता है कि "मुझ से सीखो." यीशु की नम्रता के बारे में कुछ है जोकि हमारे जीवन में सुधार लाएगा | चलो आगे चलते हैं)
II. एक नम्र तुम?
a.  पढ़ें इफिसियों  4:1-3. हाल ही में, मैंने एक ब्लॉग को मेरी कलीसिया पर हमला करते हुए पढ़ा | लेखक को कलीसिया  के एक सदस्य होने का दावा किया गया, लेकिन मैंने देखा कि लेखक ने हमेशा कलीसिया का नाम लिखने में त्रुटि की | मैंने एक अनिवार्य रूप से यह कह कर कि "यदि आप कलीसिया का नाम ठीक तरह से नहीं लिख पा रहें हैं तो आप इस पर आलोचना का दावा कैसे कर सकते हैं ? "मेरा 'नम्र और विनम्र" संदेश: आप एक अज्ञानी मूर्ख हैं | ब्लॉग लेखक ने एक क्रोध की प्रतिक्रिया लिखी और उसका प्रयास पूरी तरह से समय  की बर्बादी थी |
1. जब कोई आपके धार्मिक विश्वासों या आपकी कलीसिया पर हमला करे तो इफिसिओं 4:1-3 के दृष्टिकोण से किस तरह का सुझाव है?
2. क्या होगा अगर तुम अज्ञानी मूर्ख के साथ काम कर रहे हो, और जो आपके विश्वास पर हमला कर रहा है उससे आपकी सोच ज्यादा तेज है? पूरी तरह से विनम्र?" रहने का अनुदेश इसमे किस तरह से फिट बैठता है  (यदि आप सोच रहे हैं एक बहुत चालाक हो, तो यह पूरी तरह से विनम्र व्यवहार नहीं है, ठीक?)
3. आसान  बात यह  है  कि जो लोग चिड्चिडा पन लाते है उनकी उपेक्षा कर दो| यह उस दिशा में किस तरह आ सकता है  कि " प्रेम मे एक दूसरे के साथ हो?" ( कुछ फैसले एक दूसरे को सहन करने के लिए किये जाते है, जबकि किसी की उपेक्षा कराना उसकी बेईज्ज़ती करने के सामान है, कई बार फ़िज़ूल के झगड़ो से बचने के लिए इस तरह के फैसले ही एक उपाय है | हमें यह फैसला करने की ज़रुरत है कि किससे प्यार आगे बढ़ता है |)
4. क्या इफिसियो 4:3 मुझे अपने ब्लॉग के व्यवहार के लिए एक बहाना देता है, क्योंकि हमें विनम्र, भद्र और सदस्यों के साथ प्यार से रहने के किये बुलाया गया है ? सजग रहो उनसे, दुनिया में जो लोग कलीसिया पर हमला करते है और परमेश्वर को ना मानने वाले हैं !
B. पढ़ें 1 पतरस 3:15-16. यहाँ पर किसे उत्तर दिया जा रहा है, एक कलीसिया  के सदस्य को या दुनिया को? (दुनिया!)
1. हमें किस तरह का जवाब देना चाहिए इस बारे में क्या सुझाव है? (विनम्रता के साथ (नम्रता) और सम्मान!)
2. दुनिया हमारे प्रति कैसा व्यवहार करेगी, पतरस का क्या सुझाव है? (वे दुर्भावनापूर्ण होंगे, लेकिन हमें  एक सौम्य तरीके से जवाब देना चाहिए. विचार है कि हमारे विनम्र जवाब से, उन्हें अपने दुर्भावनापूर्ण व्यवहार पर शर्म आयेगी)
C .पढ़ें 2 तीमुथियुस 2:22-26. इस पाठ में क्या हम लोग उन लोगों के साथ काम कर रहें है, जो सच्चाई जानते हैं और तर्क से काम लेते हैं? (नहीं | ये लोग सत्य को नहीं जानते और मूर्खता पूर्ण तर्क शामिल होतें हैं | ये अज्ञानी लोग जो ज्यादा बुद्धिमान नहीं हैं | वे हास्यास्पद तर्क देतें हैं.)
1. उनके साथ हमें किस तरह का व्यवहार करना चाहिए? (कोमल अनुदेश | नम्र अनुदेश!)
2. इस तरह से आप कोई भी तर्क किसे जीत सकतें है? आप उन्हें कैसे दिखा सकतें है कि कितने  मूर्ख, अज्ञानी और हास्यास्पद वे हैं? (ध्यान दें  लाइन 25, परमेश्वर उन्हें पश्चाताप अनुदान करता है | महत्वपूर्ण बात में कैसे खो रहा था इन पाठों से मेरी आँख खुल गयी! मेरा लक्ष्य यह दिखाना हो चुका है कि बुतपरस्त लगों की स्थिति कितनी विसंगत और मूर्खता पूर्ण  है | किसी भी समझदार व्यक्ति को उनके विचारों पर हंसी आनी चाहिए | पर यह  विचार कि उनको मूर्ख ठहरा कर मैं उनके दिलों को जीत सकता हूँ, कुछ इसी तरह है कि मैं अपना उद्धार स्वयं कमा सकता हूँ? )

D . याद करो कि हमने अध्यन मत्ती 11:29 से शुरू किया, जिसमें कहा गया है कि अगर हमने नम्रता और विनम्रता यीशु से सीखी तो हम विश्राम पाएंगे?याद करो पिछली बार का जब तुम अपने विश्वास को लेकर एक गरमागरम बहस में पड़ गए थे | क्या तुम्हे आराम मिला था? ( मैं उस वक़्त गुस्से में आ जाता हूँ जब कोई मेरी मसीहियत अथवा मेरा विशिस्ट विस्वास के ऊपर कोई वार करता है | लेकिन, यदि मै "तर्क" करूँ, और वो गुस्से में मेरे पास वापस आये, उस वक़्त मैं चिद्चादा जाता हूँ कि मैं सिर्फ आक्रमण देख रहा हूँ और कुछ कर नहीं पा रहा हूँ)     

III .  नम्र कि विरासत 

A . पढ़े फिलिपियो 2 :5 -7 तुम क्यों सोचते हो कि यीशु इस दुनिया में आया और अपने आप को "दीन" बना लिया? उसके पास सभी हक़ और अधिकार थे कि वो राजसी तरह से आता! (पड़े हिब्रानिया 4 : 15 -16 . यीशु इस तरह दुनिया में आया कि हम लोगों में कोई भी यह ना कह पाए कि उसको इस धरती पर हमसे कुछ ज्यादा लाभ थे |)    

B . पढ़े फिलिपियो २:८. अगर मुझे नम्र होना है तो मेरे विचार से मुझे अपने सम्मानित  होने का हक़ छोड़ना पड़ेगा | क्या यही  यीशु ने किया? ( अवश्य ही कुछ लोगों ने यीशु का सम्मान नहीं किया, लेकिन मुझे यह नहीं लगता है कि यह उसका ध्हेय था | इसके बजाये, उसका उददेश हम लोगों के जैसा लगना था- एक आम आदमी जिसके पास पैसा, रुतबा और शक्ति नहीं होती है वो उसका लाभ लेता ऐसा उसका विचार नहीं था | इब्रानियो ने इस बात पर जोर डाला कि यीशु को वोही अनुभव हुए जो हमें होते हैं |)    

1. अपने जीवन में हम यह धारणा कैसे लाये? ( जब हम विश्वास के बारे में बहस करते है और उसका बचाव करते है यह सोच कर कि  हमारा  विश्वास श्रेष्ठ है: दूसरा व्यक्ति मूर्ख, अज्ञानी एवं दुष्ट है, हम लोगों कि सोच येसु जब इस दुनिया में आया उससे बिलकुल भिन्न है) 

C. पढ़े फिलिपियो २:९-११. जब हमने यह पाठ शुरू किया था, उस वक़्त मैंने यह बताया था कि कोई स्वयम सहायता वाली पुस्तक मैं नहीं जानता हूँ जो यह विवाद करे कि हमको जीतने के लिए नम्र होना होगा. जबकि, यीशु ने मत्ती ५:५ में बताया कि नम्र पृथ्वी  पर अधिकार करेंगे| यह यीशु के लिए कैसे हुआ ? (पिता परमेश्वर बीच बचाव करता है और सब कुछ ठीक कर देता है|)  

D. पढ़े भजन संहिता 37:7-11 यह कैसे निश्चित करेगा कि नम्र व्यक्ति पृथ्वी पर राज करेगा ? (परमेश्वर उनका युद्ध जीतता है | वह दुष्ट का नाश करता है | सिर्फ नम्र ही खड़ा रह पायेगा  )

IV. बचाव करने वाले के लिए क्या ? 
A. क्या हम पृथ्वी पर जो भी अन्याय होरा है उससे चुप चाप नम्रता से स्वीकार कर लें ? पढ़े भजन संहिता 82:3-4 और मत्ती 5:38-42 क्या आप इन दो पाठो के बीच मैं सम्बन्ध बना सकते हैं ? क्या हम पुराने नियम कि उपेक्षा करदें इस बात पर कि यह पुराना हो चुका है ? ( दोनों पथ एक दूसरे से जुड़ सकते हैं | एक  आपके अपने हक के लिए खड़ा रहने की बात कहता है दूसरा दूसरों के हक जिन्हें मदद चाहिए उनके लिए खड़ा रहने की बात करता है, अगर मैं इस बात पर ठीक नहीं हूँ तो मैं अपनी वकालत की नौकरी को छोड़ दूं | )

B. मित्र क्या तुम उन लोगों के प्रति अपना रवैया बदलना चाहोगे जो तुम पर हमला करते है और तुम्हारे विश्वास का मजाक उड़ाते हैं? मैं अवश्य ही इस अध्यन के द्वारा मनाता हूँ कि मुझे अपने उत्तेजित स्वभाव को सुसमाचार के बचाव के लिए  बदलने की ज़रुरत है | हमारा यह सोचना कि हम अपने कौशल से सुसमाचार के दुश्मनों को हरा सकते है यह हमारा घमंड और अहंकार है |केवल परमेश्वर हृदय बदल सकता है |क्या तुम मेरे साथ एक नए सिरे से पवित्र आत्मा से पूछोगे कि वह तुम्हें एक नम्र और विनम्र व्यवहार दे ?
V. अगले हफ्ते : आत्मा का फल आत्मसंयम


Introduction: Raspberries are my favorite fruit. Although I like all common fruits, I faintly recall an exotic fruit I did not like because of its bitter taste. If I had to rank the fruits of the Spirit, meekness would not be my raspberries! Consider Jesus' statement in Matthew 5:5 that the meek will inherit the earth. How can that be right? I thought it was the aggressive and hard-working who were successful. I've never read a self-help book that suggested meekness as the road to success. A further problem with the idea of being meek is that most translations (including the NIV) translate the Greek as "gentleness," rather than meekness. What does it mean to be "meek" when dealing with the world? What does it mean to be "meek" when dealing with fellow Christians? Let's explore these mysteries and this unpopular fruit by diving into our study of the Bible!
I. A Meek God?
A. Read Matthew 11:28-30. We have examined this text several times during this series of studies. The word the NIV translates as "gentle" is translated as "meek" in other Bibles. Does meek look good here? Would you prefer to have Jesus use a different term? (I like gentle or meek here, because Jesus is dealing with me!)
1. One commentator wrote "Meekness is the absolute, ceasing to fight for our agenda and believing that God will fight on our behalf for His." What do you think about that statement? (My first reaction was, "That's crazy!" My next reaction was, "If our agenda is not God's agenda, I guess this makes sense.")
a. What if we are trying to make God's agenda our agenda - should we stop fighting?
b. Notice that Matthew 11:29 offers "rest" for our souls. What does this suggest about learning gentleness (meekness) from Jesus? (That this fruit of the Spirit is the key to rest. It is a lot easier to rest if we are not fighting!)
c. The text suggests that Jesus' meekness makes our life better. How? (We discussed the idea of Jesus being gentle with us, but Jesus says "learn from Me." There is something about the meekness of Jesus that will improve our life. Let's turn to that next.)
II. A Meek You?
A. Read Ephesians 4:1-3. Recently, I read a blog attacking my church. The writer claimed to have been a member of the church, but I noticed that the writer always made an error in writing the name of the church. I wrote a response saying essentially "If you do not even know how to write the name of the church, how can you claim to
know enough to criticize it?" My "meek and humble" message: you are an ignorant dolt. The blog author wrote an angry response and the whole endeavor was likely a complete waste of time.
1. What kind of approach would Ephesians 4:1-3 suggest  when someone who attacks your religious beliefs or
your church?
2. What if you are dealing with ignorant dolts, and your thinking is much sharper than the that of the people attacking your beliefs? How does that fit with the instruction to be "completely humble?" (If you are thinking you are a lot smarter, that is not a completely humble attitude, right?)
3. The easy thing is just to ignore people who are annoyingly wrong. How does that fit the direction to be "bearing with one another in love?" (Some judgement is called for here in "bearing" with others. While ignoring someone is often an insult, sometimes that is the only way to avoid an unproductive dispute. We need to decide what would
advance love.)
4. Does Ephesians 4:3 give me an excuse for my blog behavior since we are called to be humble, gentle and loving with fellow members? People who attack the church and pagans in the world had better watch out!
B. Read 1 Peter 3:15-16. Who is being answered here - a church member or the world? (The world!)
1. How does this suggest that we should answer? (With gentleness (meekness) and respect!)
2. How does Peter suggest that the world will treat us? (They will be malicious, but we should respond in a gentle way. The idea is that our gentle answer will cause them to be ashamed of their maliciousness.)
C. Read 2 Timothy 2:22-26. In this text are we dealing with people who know the truth and are logical? (No. These are people who do not know the truth and who engage इस foolish and stupid arguments. These are ignorant people who are not too bright. They make ridiculous arguments.)
1. What kind of approach should we take with them? (Gentle instruction. Meek instruction!)
2. How can you win any arguments this way? How can you show them how stupid, ignorant and ridiculous they
are? (Notice verse 25, God grants them repentance. These texts have opened up my eyes about how I've been missing the mark! My goal has been to show how the pagan's position is illogical and silly. Any reasonable person should laugh at their ideas. But the idea that I can win their heart and mind by making them look foolish is much like the idea that I can earn my own salvation.)
D. Recall that we started with Matthew 11:29 which said that if we learned meekness and humility from Jesus we would have rest? Think about the last time you got into a heated debate about your faith. Did you experience rest?
(I get annoyed when someone attacks Christianity or my specific faith. However, if I lob a "logic grenade" back, and they return with any angry response, I'm more agitated then if I just read the attack and did nothing.)
III. The Inheritance of the Meek
A. Read Philippians 2:5-7. Why do you think Jesus came to earth and made Himself "nothing?" He had all the right and authority to at least come as royalty! (Read Hebrews 4:15-16. Jesus came to earth in such a way that none of us can say that He had some earthly advantage over us.)

B. Read Philippians 2:8. When I think of being meek, I think of giving up my right to be respected. Is this what Jesus did? (Certainly some people did not treat Jesus with respect, but I don't think that was His goal. Instead, His goal was to be like us - not to have the advantages of wealth, position, and power that the average person does not have. Hebrews emphasizes the idea that Jesus experienced what we experience.)
1. How do we apply this concept to our life?(When we argue and defend the faith from the point of view of
superiority: that the other side is stupid, ignorant and evil, we take a much different approach than that of Jesus when He came to earth.)
C. Read Philippians 2:9-11. When we started out in this lesson, I pointed out that no self-help book that I know about argues that we should be meek to win. Yet, Jesus says in Matthew 5:5 that the meek will inherit the earth. How did that happen for Jesus? (God the Father intervened and makes things right.)
D. Read Psalms 37:7-11. How does this suggest that the meek will inherit the earth? (God wins their battle. He destroys the wicked. Only the meek are left standing.)
IV. What About Defenders?
A. Should we just meekly accept whatever unjust thing takes place on earth? Read Psalms 82:3-4 and Matthew 5:38-42. Can you reconcile those two texts? Should we ignore the Old Testament text on the basis that it has been super-ceded? (The two texts can be reconciled. One speaks of standing up for your own rights, and the other speaks of standing up for the rights of others who need help. If I am not right on this, then I need to quit my law job defending the little guy.)
B. Friend, do you need to change how you relate to those who attack and make fun of you and your faith? I have definitely been convinced by this study that I need to change my aggressive approach in defending the gospel. I see now that the idea that we can beat the enemies of the gospel into submission by our own skill is all vanity and arrogance. God, alone, can change hearts. Will you join me in a renewed effort to ask the Holy Spirit to give us a meek and gentle attitude?

V. Next week: The Fruit of the Spirit is Self-Control.

Saturday, February 20, 2010

Sunday Message - Where is your destiny? / तुम्हारा भाग्य कहाँ है?

तुम्हारा भाग्य कहाँ है?
क्या तुमने कभी मरते हुए व्यक्ति या कोमा में पड़े व्यक्ति की प्रार्थना करी है?
अगर तुम ऐसे किसी व्यक्ति के लिए प्रार्थना करो, तो तुम्हारे अन्दर उस व्यक्ति के बच जाने की तीव्र इच्छा होगी
मैं यह तुम्हें अपने अनुभवों से बता रही हूँ
मैंने व्यक्तिगत तौर पर सिर्फ पांच लोगों की प्रार्थना की है मैं उन लोगों के बारे में तुम्हें बताना चाहूंगी और पवित्र आत्मा से मांगूंगी कि वह तुम्हें हमारे स्वर्गीय पिता के हृदय को समझने की अनुमति दें |
 1 . जिस पहले व्यक्ति की प्रार्थना की वह कोमा में एक महीने से था, उसकी पत्नी विश्वास के साथ हम लोगों के पास आई, परमेश्वर ने अरुण से कहा कि तीन दिन में वह ठीक हो जायेगा | तीन दिन के बाद वह व्यक्ति आई सी यू से बाहर आ गया और वह मुश्किल से एक महीने में पूरी तरह ठीक हो गया |
2. उसी दिन जब हम इस व्यक्ति की प्रार्थना करने गए थे, उसके बगल के बिस्तर पर सात-आठ साल का लड़का भी पिछले एक हफ्ते से कोमा में पड़ा था | प्रार्थना ख़तम होने पर जैसे ही हम लोग लौटने वाले थे, परमेश्वर ने मुझसे उस बच्चे की भी प्रार्थना करने को कहा, इसलिए हम लोगों ने विश्वास के साथ उस बच्चे के लिए भी प्रार्थना कर दी, परमेश्वर ने उसके लिए भी तीन दिन का शब्द दिया |
क्या तुम यह जानना चाहोगे कि क्यों परमेश्वर ने हम लोगों से उस बच्चे की प्रार्थना करने को कहा, क्योंकि उसकी माँ ( एक अविश्वासी )हम लोगों को देख रही थी और इच्छा कर रही थी कि हम उसके बच्चे के लिए प्रार्थना कर दें
बोलो - परमेश्वर अच्छा है
उस प्रार्थना के फलस्वरूप वह बच्चा भी ठीक हो गया |
3. तीसरा व्यक्ति एक युवा था, हम उसकी प्रार्थना करने गए, उस परिवार में उसकी बहन ही ने नया जीवन पाया था और वह नहीं चाहती थी कि उसका भाई नरक में जाए | इसलिए हम वहां गए और उसके लिए प्रार्थना की | लेकिन हम लोगों ने पाया कि उसके माता पिता, दुआ ताबीज में लगे हुए  थे | उसी रात को उसका भाई  मर गया, और डाक्टर ने उसे वेंटिलेटर से नीचे उतार दिया, उसने तुरंत हम लोगों को प्रार्थना करने के लिए कहा, और जब हम लोग प्रार्थना कर रहें थे ड्यूटी  पर मौजूद डाक्टर राउंड पर  आया, जब उसने उसे छुआ तो पाया कि उसके शरीर में गर्मी थी, लेकिन वह उस शाम को मर गया |
4 . यह एक कैंसर का रोगी था जो हम लोगों की कलीसिया में लाया गया | उसे शांति का अनुभव  होने लगा, उसका शरीर भी पहले से अच्छा होने लगा, इसलिए उसके पूरे परिवार ने प्रभु पर अपना विश्वास जमा दिया | एक दिन उसने अपने पूरे शरीर में भयंकर जलन महसूस की | मैंने उससे फोन पर बात की, और उसने एक बार फिर से यीशु को स्वीकारा| मैंने अपने हृदय में शांति महसूस करी और उसको आराम महसूस हुआ, लेकिन कुछ समय के बाद मैंने सुना कि उसकी मृत्यु हो गई | उस मरीज का परिवार यीशु से नाराज हो गया और उसने यीशु  के लिए अपने द्वार बंद कर लिए.
5 . पांचवा व्यक्ति मेरा अपना भाई है, मेरी बहिन ने मुझे फ़ोन किया और उसके लिए प्रार्थना करने के लिए कहा, मेरा भाई सात दिनों से अस्पताल में था और उसका परिवार दुआ ताबीज़ में मदद खोज रहा था लेकिन यीशु  को याद नहीं कर रहा था | हम लोगों ने प्रार्थना करी परन्तु कुछ घंटो के बाद उनकी मृत्यु हो गई | मेरे भाई ने नया जीवन ग्रहण किया हुआ था |
मैं यहाँ आज आप लोगों को क्या बताने  की कोशिश कर रही हूँ?
इन कहानिओं से यह पता चल रहा है कि कहीं पर विश्वास ने और कहीं पर अविश्वास ने काम किया 
भजन संहिता 6 :5 में दाउद  कहता है, कब्र से तुम्हारी  कौन प्रशंशा करेगा?
परमेश्वर का पुत्र लोगों को खोजने और बचाने  के लिए आया
बैनी हिन् उद्धार को हमेशा सबसे महान चमत्कार कहता है
चलो हम अपने दिलों में स्वर्ग की धड़कन के लिए हलचल कर दें
स्वर्ग के दिल की धड़कन क्या हो सकती है?
यह है आत्माएं-आत्माएं और आत्माएं
पढ़ें मत्ती 24:36-41
उस दिन या उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता  - न तो स्वर्गदूत और न ही पुत्र, परन्तु केवल पिता | मनुष्य के पुत्र ( यीशु  ) का आना ठीक नूह के दिनों के सामान होगा | क्योंकि जलप्रलय के पूर्व के दिनों में जिस प्रकार नूह के जहाज़ में प्रवेश करने के दिन तक लोग खाते-पीते रहें, और उनमें विवाह शादियाँ हुआ करती थीं और जब तक प्रलय उनको बहा न ले गया, वें इसे समझ न सके, उसी प्रकार मनुष्य के पुत्र (यीशु ) का भी आना होगा | उस समय दो मनुष्य खेत में होंगे, एक ले लिया जाएगा और दूसरा छोड़ दिया जाएगा | दो स्त्रियाँ चक्की पीसती होंगी; एक ले ली जायेगी और दूसरी छोड़ दी जायेगी |
ऐसा नूह के समय में हुआ और यह फिर होगा
तुम्हें कैसा लगेगा अगर तुम्हारे मित्र और रिश्तेदार पीछे छूट जाएँ
वह तुम्हारा बहतु अच्छा मित्र जिसने तुम्हारी बहुत मदद की, पीछे छूट गया
यीशु इस ही कारण से आया और उसके शिष्य भी उद्धार की बाते कर रहें थे
क्या तुम उसके चेले हो?
तुम क्या बातें कर रहें हो?
पढ़ें लुका  13:23-25, 28
तब किसी ने उससे कहा, "हे प्रभु, क्या उद्धार पाने वाले थोड़े ही हैं?" उसने उनसे कहा, "सकरे द्वार से  भीतर जाने का यत्न करो, क्योंकि मैं तुमसे कहता हूँ कि बहुत से हैं जो प्रवेश करने का यत्न तो करेंगे पर सफल न होंगें | एक बार जब गृह-स्वामी उठकर द्वार बंद कर देता है और तुम बाहर खड़े हुए द्वार खटखटा कर कहते हो, "हे स्वामी हमारे लिए खोल दे! तब वह तुमसे कहेगा, "मैं नहीं जानता तुम कहाँ से आये हो" |
जब तुम इब्राहिम, इसहाक, याकूब और सब नबियों को तो परमेश्वर के राज्य में, पर अपने आपको बाहर निकाले हुए देखोगे, तो वहां (नरक में) रोना और दांत पीसना होगा |
तुम अपने मित्रों को कहाँ देखना पसंद करोगे?
पिछले हफ्ते जब अरुण अपने परिवार के उद्धार के लिए प्रार्थना कर रहें थे, उन्होंने वास्तव में अपनी उन चाचियों को जो पिछले साल गुजर गई, जमीन पर खींचे जाते देखा और खून की धारियों के निशाँ बनते देखा और उनके शरीर के  मॉस को जलते हुए और तीव्र पीड़ा में देखा | इससे उनका हृदय दुखी हो गया और वह परमेश्वर के आगे रो पड़े |
यीशु अपने पिता के अति गंभीर काम के लिए आया और उसने उसे पूरा कर दिया
चलो हम पढ़तें है और पिता के दिल को जानते है
ydk 16:22-31
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इसका मतलब है नरक में अवर्णीय तकलीफ है इसी कारण धनी व्यक्ति ने अपने परिवार के लोगों के पास उद्धार का सन्देश पहुचाने के लिए इच्छा ज़ाहिर की मैं तुम्हे एक बात बताती हूँ 
कोई भी मृत व्यक्ति बताने नहीं आएगा, कल मेरा भाई मर गया, अब उसे यह सत्य पता है लेकिन वह अपने परिवार के पास आकर ये सत्य नहीं बतायेगा , यह मैं या जो व्यक्ति जो जीवित है बताएगा.
यह मैं या तुम हो जो बताएगा | 
हम सत्य जानते हैं 
उद्धार जीवन का सन्देश है और जीवित लोगों के द्वारा बताया जाएगा 
उद्धार एक आत्मा है तुम्हे अपने प्रिय जनों के ऊपर लगातार छोड़नी चाहिए 
पढ़े अयूब 22:28
tks ckr rw Bkus og rq> ls cu Hkh iM+sxh] vkSj rsjs ekxksZa ij izdk'k jgsxkA




;gks'kw 1:5
rsjs thou Hkj dksbZ rsjs lkEgus Bgj u ldsxk( tSls eSa ewlk ds lax jgk oSls gh rsjs lax Hkh jgwaxk( vkSj u rks eSa rq>s /kks[kk nwaxk] vkSj u rq> dks NksMwaxkA




izsfjrksa ds dke 16:31
mUgksa us dgk] izHkq ;h'kq elhg ij fo'okl dj] rks rw vkSj rsjk ?kjkuk m)kj ik,xkA
आज परमेश्वर धार्मिकता की बारिश करने जारहा है और तुम्हे आत्माओं के बोझे से भर देगा 
;'kk;kg 45:8
gs vkdk'k] Åij ls /keZ cjlk] vkdk'ke.My ls /keZ dh o"kkZ gks( i`Foh [kqys fd m)kj mRié gks( vkSj /keZ Hkh mlds lax mxk,( eSa ;gksok gh us mls mRié fd;k gSAA
परमेश्वर ने तुमसे एक महान वायदा किया है इसलिए उसके वायदे पे खड़े हो और अपने परिवार, पड़ोसियों, शहर  
और देश के उद्धार के लिए प्रार्थना करो 
mRifÙk 1:2-3
vkSj i`Foh csMkSy vkSj lqulku iM+h Fkh( vkSj xgjs ty ds Åij vfU/k;kjk Fkk% rFkk ijes'oj dk vkRek ty ds Åij eaMykrk FkkA rc ijes'oj us dgk] mft;kyk gks% rks mft;kyk gks x;kA
आज फिर हमारे पृथ्वी अन्धकार से ढकी है 
और परमेश्वर का आत्मा पृथ्वी के ऊपर( हमारी मिट्टी की काया के ऊपर ) मंडरा रहा है 
परमेश्वर को लोगों के जीवन में ज्योति वचन बोलने के लिए मेरी और तुम्हारी ज़रुरत है 
अपने प्रिय जनों के जीवन में बोलो - बच गए, धर्मी, यीशु के विश्वासी, स्वर्गीय नागरिक, परमेश्वर की संतान, पवित्र आत्मा से भरपूर, आशीषित, समृद्धिशाली, सफल, विजयी, स्वस्थ, पूर्ण, शक्तिशाली, प्रतिभावान, कलात्मक, बुद्धिमान इत्यादि इत्यादि |
बोलो, जो परमेश्वर का वचन तुम्हारे बारे में और तुम्हारे परिवार के बारे में कहता है ताकि तुम अपने भाग्य की और आगे चल सको जो उसने तुम्हारे और तुम्हारे प्रिय जनों के लिए तैयार कर रक्खा है |
एक बार फिर मैं तुमसे एक प्रश्न पूछती हूँ - तुम्हारे प्रिय जनों का भाग्य कहाँ है?
बोलो स्वर्ग में 
आशीषित हो और अपने स्थान पर खड़े हो और घोषणा करो, अपने परिवार, पड़ोसी, शहर और देश को हमारे प्रभु यीशु के लिए जीत लो 
प्रार्थना करो  और विश्व को आत्मा के बल से यीशु के लिए ले लो 


Where is your destiny?

Have you ever prayed for a dying person or a person who is in coma?
If you pray for someone like this, you usually find a deep desire in you for that person to be healed.
I personally have prayed for 5 people only with this kind of situation. I would like to share with you about them and ask Holy Spirit to allow you to understand the cry of our Heavenly Father.
1. The first one I prayed for was in a coma for a month and his wife came to us with a faith. God spoke to Arun in three days time he will be ok. After three days he was out of ICU, and it took him hardly a month to recover fully.
2. The day we went to pray for that man, next to his bed, was a 7-8 year old boy who had also been in a coma for more than a week, when we finished the prayer and were about to leave, God speaks to me to pray for that child as well, so by faith we prayed for that child and God said again that in three days he would recover also.
Do you want to know why God spoke to us to pray for that child, because his mother (a non believer) was watching us and desiring for a prayer.
Say - God is good
As a result of our prayers that child was also healed.
3. The third one was a teenager, we went to pray for him, his sister was the only one saved in that family, and didn’t want her brother to go to hell. So we went and prayed, but we found her parents were still continuing with their charms etc. The same night her brother died, and doctors removed him from the ventilator, she immediately calls us to pray for him, as we were praying the doctor on duty came for a round and touched his body and found it warm, but unfortunately he died later that evening.
4. A cancer patient was brought in our church, she began to experience peace, her body was making progress so her whole family put trust in the Lord. One day she experienced a very bad burning sensation in her body. I talked to her on phone, she confessed Jesus once again. I felt peace in my heart and she felt rest, and after few hours I heard she had passed away. Her family became angry with Jesus and they closed the doors for Jesus.
5. The fifth one is my own brother, my sister called and asked me to pray for him, my brother was in the hospital for last seven days his family was seeking help through witchcraft but not remembering Jesus. We prayed but after few hours later he died. My brother was born again.
What am I really trying to tell you people today?
Through these stories we see faith working at some place or the unbelief
In psalms 6:5 David says, who praises you from the grave?
The reason the Son of God came was to seek and save the Lost.
Benny Hinn always calls salvation as the greatest miracle
Let us stir our hearts today for the heart beat of heaven
What can be the heart beat of heaven?
It is soul-soul and soul
Read Matthew 24:36-41
No one knows about that day or hour, not even the angels in heaven, nor the Son, but only the Father. As it was in the days of Noah, so it will be at the coming of the Son of Man. For in the days before the flood, people were eating and drinking, marrying and giving in marriage, up to the day Noah entered the ark; and they knew nothing about what would happen until the flood came and took them all away. That is how it will be at the coming of the Son of Man. Two men will be in the field; one will be taken and the other left. Two women will be grinding with a hand mill; one will be taken and the other left.
It happened in Noah’s time it will happen again
How would you feel if your friends and relatives are left behind
That very good friend of yours who helped you a lot, is left behind
Jesus came for this reason only and his disciples were talking salvation,
Are you his disciple?
What are you talking?
Read Luke 13:23-25, 28
Someone asked him, "Lord, are only a few people going to be saved? He said to them, Make every effort to enter through the narrow door, because many, I tell you, will try to enter and will not be able to. Once the owner of the house gets up and closes the door, you will stand outside knocking and pleading, 'Sir, open the door for us.' But he will answer, 'I don't know you or where you come from.'
There will be weeping there, and gnashing of teeth, when you see Abraham, Isaac and Jacob and all the prophets in the kingdom of God, but you yourselves thrown out.
Where do you want to see your friends?
Last week when Arun was praying for the salvation of his family, he literally saw his aunts who died last year being pulled and the blood leaving marks on the floor and he saw their flesh being burnt and body in great pain. It made him cry before the Lord
Jesus came for a serious business of His father and he accomplished that
We are going to read and know the heart of our father
Luke 16:22-31
"The time came when the beggar died and the angels carried him to Abraham's side. The rich man also died and was buried. In hell, where he was in torment, he looked up and saw Abraham far away, with Lazarus by his side. So he called to him, "Father Abraham have pity on me and send Lazarus to dip the tip of his finger in water and cool my tongue, because I am in agony in this fire." But Abraham replied, "Son remember in your lifetime you received your good things, while Lazarus received bad things, but now he is comforted here and you are in agony.
And besides all this, between us and you a great chasm has been fixed, so that those who want to go from here to you cannot, nor can anyone cross over from there to us.' He answered, 'Then I beg you, father, send Lazarus to my father's house, for I have five brothers. Let him warn them, so that they will not also come to this place of torment.'Abraham replied, "They have moses and the prophets; let them listen to them." 'No, father Abraham,' he said, 'but if someone from the dead goes to them, they will repent.' He said to him, 'If they do not listen to Moses and the Prophets, they will not be convinced even if someone rises from the dead.'
It means the pain in hell is indescribable that is why rich man desired the salvation message to reach to his family
Let me tell you –
No dead man is going to speak
My brother died yesterday, now he knows the truth but he is not going to come and tell the family members the truth
It has to be me, a person who is living not dead
It has to be you and me
We know the truth
Salvation is a message of life and it must be spoken by living people
Salvation is a spirit you have to release upon your loved ones on regular basis
Read Job 22:28
What you decide on will be done and light will shine on your ways.
Joshua 1:5
No one will be able to stand against you as I was with Moses I am with you, I will never leave you nor forsake you
Acts 16:31
Believe in the Lord Jesus you will be saved you and your house hold
Today God is going to rain righteousness and fill you with burden for souls
Isaiah 45:8
You heavens above, rain down righteousness, let the clouds shower it down,
Let the earth open wide, let salvation spring up, let the righteousness grow with it I the Lord has created it.
God has already given you a great promise stand on his word cry for the salvation of your family and friends, city and nation

Read Genesis 1: 2-3
Now the earth was formless and empty, darkness was over the surface of the deep, and the Spirit of God was hovering over the waters. And God said, "Let there be light," and there was light

Today again our earth is covered with the darkness
And God’s spirit is hovering upon the earth ( upon the body )

God needs you and me to speak the 'light' words in people’s life

Speak in your loved ones life - saved, righteous, believer of Christ, heavenly citizen, child of God, filled with holy spirit, blessed, prosperous, successful, victorious, healthy, whole, strong, talented, creative, wise etc. etc.
Declare what God's Word says about you and your house holds so that you can move forward in the destiny , he has prepared for you and your loved ones!
Once again I ask you a question – where is your loved ones destiny?
SAY IN HEAVEN
Be Blessed stand on your feet, declare and win your family, neighbours, city and nation for our Lord Jesus Christ
Pray and take the world by force for Jesus