Friday, February 12, 2010

Sunday Message 14.2.2010

Where have you made your altars?

What is an altar and what do you understand by it
It is a meeting point.
From Genesis to Revelation you find altars erected for meeting God or Baal(devil)
Or to simplify it we can say, “An altar is a meeting point between the physical and the spiritual
Worship, covenants, prayers, sacrifices, oaths, curses or blessings are taking place at the both godly and ungodly altars
People go to evil altars with a motive of getting more riches, prosperity, to harm others or selfish prayers are conducted without repentance
But people go to God’s altar in repentance, in forgiveness, in righteousness and the word of God says that God shields up the shield of favor upon them and bring them to the promise land where rivers of milk and honey flow for the people of God
Say – I have erected an altar for my Jesus, it is filled with the fire of God and blood of Jesus Christ
Read Leviticus 20:27
No matter where the altars of devil are located, you as a child of God have authority to judge all evil altars.
Do you want to know one secret?
Read Psalms 24:1
Earth is the Lords,
Right
Who has the right of domain over the earth?
Definitely, Jesus gave it to us
Say – I have the authority to domain over the Earth
Can we allow these pollution creators in our land?
Say No way
Read Jeremiah 1:10
So let us locate them by the prayers power and uproot them, tear them down, destroy them and cast them out in the lake of fire
Pray in Holy Ghost and destroy them
Now raise Godly altars in your house, area, city and Nation
Sing mere jeevan mein naya kaam kar yeeshu…….(Jesus bring new things in my life, home, area city and Nation)
And through prayers lift up the altar of God, declare the kingdom of our Lord Jesus Christ has come to our family, area, city and Nation
When you pray and ask God to reveal the hidden things of the spirit and God reveals the altars of devil or the covenant you or our fathers made
Whenever we receive prayer request, mostly we find their problems are due to the covenants which they or their forefathers have made on behalf of them at the altars of the devil
Tell the devil enough is enough!
Take the authority as a child of God and fight with violence
Read Matthew 11:12
YOU WILL ADVANCE IF YOU ARE BOLD
We should watch and pray because the evil one is like a roaring lion who is always at the door and waits for the door to open
Read Isaiah 25:7
Again I ask Who is going to destroy the covering made by the evil one
Read 2 Corinthians 4:3-4
And now again read Isaiah 25:7
Again I ask Who is going to destroy the covering made by the evil one
Say – I and you
Say – I will destroy the clouds of darkness, produced in my area by devil and his agents
Read Luke 11:20
How was Jesus casting out demons?
By the finger of God
When you cast out demons whose finger do you use?
God’s
look at your finger and say this is God's finger
If kingdom of God is with you, who can be against you!
Let us stand and declare –
- Father in Jesus name I destroy every altar of devil in my area or city and ask Holy Ghost fire to consume it right now
- Father in Jesus name , raise spiritual watchmen in the land to watch over our territory
- Father in Jesus name, raise God 's , altar in this land that will be strengthened and sustained by regular intercession
Can you do this work?
Or you are afraid of the evil power?
Read again Jeremiah 1:10
Now stand on your feet and chase the devil out of your territory
Devil has held the people captive for a long
But today the spirit of Lord is upon you,
God has anointed you to set the captives free
Speak wage war and win the battle, scripture says battle belongs to the lord,
since battle belongs to the Lord, we already have the victory
Say today I am meeting God at this place
As you will intercede you must know God has made you more than conqueror

Amen



तुमने अपनी वेदी कहाँ बनाई है?


वेदी क्या है और तुम इससे क्या समझते हो?
यह एक मिलने का स्थान है
उत्पत्ति से प्रकाशित वाक्य तक हम वेदियाँ पातें हैं जो परमेश्वर या शैतान के मिलने का स्थान है
या फिर इसे सरल रूप में इस तरह से कहा जा सकता है कि वेदी शारीरिक या आत्मिक मिलन का एक स्थान है
परमेश्वर और शैतान के लिए बनाईं गयीं वेदियों पर आराधनायें, वाचायें, प्रार्थनाएं, बालियाँ या भेंटें, प्रतिज्ञाएँ, श्राप या आशीष, ये सभी बातें हो रहीं हैं
लोग दुष्ट की वेदियों पर ज्यादा धन प्राप्ति के लिए, संपत्ति के लिए, दूसरों को हानि पहुंचाने के लिए और स्वार्थी इच्छाओं को लेकर बिना गलती का अहसास किये जातें हैं
लेकिन लोग परमेश्वर की वेदी पर पाश्चाताप में, माफी के साथ, परमेश्वर के सम्मुख सही हो कर जातें हैं, परमेश्वर का वचन कहता है कि परमेश्वर उन्हें अनुग्रह की ढाल से ढक देता है और उन्हें जहाँ दूध और शहद की नदियाँ बहतीं है ले आता है
बोलो - मैंने यीशु की वेदी को बनाया है, जो परमेश्वर की आग और यीशु के लहू से भरी हुई है
पढ़ें लैव्व्यवस्था 20:27
इस बात की बिलकुल भी चिंता मत करो कि शैतान ने कहाँ पर अपनी वेदियाँ बनाई है, तुम परमेश्वर की संतान हो और तुम्हें इन वेदियों का न्याय करने का पूरा हक दिया गया है
क्या तुम एक रहस्य जानना चाहोगे?
पढ़ें भजन संहिता 24:1
पृथ्वी परमेश्वर की है,
ठीक !
इस पृथ्वी पर राज्य करने का अधिकार किसके पास है
निश्चय ही, यह अधिकार ईसू ने हमें दिया है
बोलो - मुझे पूरा हक़ है इस पृथ्वी पर राज्य करने का
क्या हम प्रदुषण फैलाने वाले को अपनी भूमि पर रहने देंगे?
बोलो - कत्तई नहीं
पढ़ें यिर्मयाह 1:10
तो चलो आओ प्रार्थना की सामर्थ से उन्हें ढूंढें, उखाड़ फेंकें, फाड़ डालें, नष्ट कर दें और अग्नि कुंड में फेंक दें
पवित्र आत्मा में प्रार्थना करें और उन वेदियों को नष्ट कर दें
अब परमेश्वर की वेदी अपने घर में, एरिया में, शहर में और देश में बनाएं
गांयें मेरे जीवन में नया काम कर यीशु ........
प्रार्थना के जरिये परमेश्वर की वेदी को ऊँचा करे और हमारे प्रभु यीशु का राज्य हमारे परिवार में, एरिया में, शहर में और हमारे देश में आ गया है ऐसा बोलें
जब तुम प्रार्थना करो तब परमेश्वर से आत्मिक तौर से छिपी हुईं बातों के रहस्य को प्रकट करने को कहो, परमेश्वर शैतान की वेदियों, या तुम्हारे पूर्वजों द्वारा बनाई गईं वेदियों और वाचाओ का रहस्य खोल देगा
जब भी लोग हमें प्रार्थना करने को कहते है तो ज़यादातर उनकी समस्याओं का कारण वो वाचाएं, प्रतिज्ञाएँ होती  है जो  उन्होंने या उनके माता-पिता ने या फिर पूर्वजों ने वेदियों में जाकर बनाईं  हैं
अब जब तुम इस सत्य को समझने लगे हो तो तुम क्या करोगे?
शैतान से बोलो अब बहुत हो गया , तुम्हारा समय ख़तम
परमेश्वर की संतान होने के नाते अपने हक़ का प्रयोग करो और लड़ो और शैतान के राज्य में भारी हिंसा करो
चाहे कैसी भी बीमारी हो, उसका एक नाम है तो उसे यीशु के नाम के आगे झुकाना पडेगा
पढ़ें मत्ती 11:12
अगर तुम साहसी हो तो तुम आगे बढ़ोगे
हम सदैव सजग हों और प्रार्थना करें क्योंकि दुष्ट गरजने वाले शेर की तरह सदैव दरवाजा खुलने की ताक में बैठा रहता है
पढ़ें यशायाह 25:7
मैं फिर से पूछूंगी कौन दुष्ट के द्वारा बनाई गयी ओढ़नी (परदा) को नष्ट करेगा
पढ़ें 2 कुरिन्थियों 4:3-4
अब फिर से पढ़ें यशायाह 25:7
मैं फिर से पूछूंगी कौन दुष्ट के द्वारा बनाई गयी ओढ़नी (परदा) को नष्ट करेगा
बोलो - मैं और तुम
बोलो - मैं शैतान और उसके एजेंट्स के द्वारा मेरे एरिया में बनाए गए अन्धकार के बादलों को नष्ट करूंगा
पढ़ें लुका 11:20
यीशु कैसे दुष्ट आत्माओं को भगा रहा था
परमेश्वर की उंगली के द्वारा
जब तुम दुष्ट आत्माओं को भगाते हो तो किसकी उंगली प्रयोग में लाते हो?
परमेश्वर की
अपनी उंगली की तरफ देखो बोलो- ये परमेश्वर की उंगली है
अगर परमेश्वर का राज्य तुम्हारे साथ है तो तुम्हारे विरोध में कौन हो सकता है!
चलो अपने स्थान पर खड़ें हों और ये घोषणा करें
- पिता यीशु के नाम पर, मैं मेरे एरिया या शहर में बनायीं गईं शैतान की सभी वेदियों को नष्ट करता हूँ और पवित्र आत्मा से प्रार्थना करता हूँ कि वह अभी इसी वक्त अपनी आग में भस्म कर दे
- पिता यीशु के नाम पर, आत्मिक तौर पर सजग चौकीदार हमारी इस भूमि पर नियुक्त करें ताकि वे हमारे क्षेत्र की चौकीदारी करें
- पिता यीशु के नाम पर, परमेश्वर की वेदियाँ बनाएं जो सदैव मध्यस्ता के द्वारा सामर्थी बनी रहें
क्या तुम यह कार्य कर सकते हो?
या तुम दुष्ट की सामर्थ से डरते हो?
एक बार फिर पढ़ें यिर्मयाह 1:10
अब अपने स्थान पर खड़ें हों और दुष्ट को अपनी टेरिटोरी(क्षेत्र) से खदेड़ दो
शैतान ने लोगों को लम्बे समय से कैद में रक्खा है
लेकिन आज परमेश्वर का आत्मा तुम्हारे ऊपर है
परमेश्वर ने तुम्हें कैदियों को रिहा करने के लिए अभिषिक्त(चुना) किया है
क्योंकि तुमने उसकी वेदी को ऊंचा उठाया है
बोलो - इस स्थान पर उसकी वेदी है और मैं यीशु से मिल रहा हूँ
जोर से बोलो और युद्ध छेड़ दो, जीत तुम्हारी है, वचन कहता है कि युद्ध परमेश्वर का है
चूँकि युद्ध परमेश्वर का है, तो हमें विजय मिल चुकी है
जो तुम मध्यस्ता करोगे तो अवश्य ही जान लो कि तुम जयवंत हो
आमीन

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