Thursday, February 4, 2010

GoBible.org - Lesson 6 The Fruit of the Spirit is Kindness (2 Samuel 9, Matthew 5 & 11)

6 आत्मा का एक और फल दया है
(2 शमूएल 9, मत्ती 5 और 11) 
परिचय: गलातिओं 5:22 हमें बताता है कि आत्मा का एक और फल दया है. तुम कितने लोगों की सराहना करते हो जब वो तुम्हारे प्रति  दयालु है? जब जीवन में कठिन  उतार चढ़ाव होते है, तब  मेरा ध्यान दयालु लोगों कि तरफ जाता है और मैं उनकी सराहना करता हूँ. यदि तुम गलातिओं में आत्मा के फलों के आगे पढ़ना जारी रक्खो, तो तुम गलातिओं 6:7 में आते हो. जहाँ पर यह लिखा है कि जैसा हम बोएँगे वैसा ही काटेंगे. दूसरों के प्रति दयावान होने से हम अपने लिए नम्रता बोते हैं. अब प्रश्न है, हम नम्र कैसे हों? चलो हम अपनी बाईबल का  अध्यन करे और परमेश्वर के इस दया के वरदान के बारे में ज्यादा जाने!  
हकदार दयालुता
A.  पढ़ें 2 शमूएल 9:1. दाउद के दयावान होने के पीछे क्या प्रेरणा थी? (पढ़ें 1 शमूएल 20:12-15 योनातान अपने पिता, राजा से दाउद की रक्षा करता है.  योनातान एहसास करता है कि  अंततः दाऊद ही (बजाय  योनातान के ) राजा बन जाएगा अतः वह दाऊद से अपने परिवार के प्रति दया दिखाने के लिए कहता है . और दाउद उनके समझौते को याद करता है.
1.   1शमूएल 20:16-17 पढ़ें. दाऊद के लिए यह चिंता का विषय क्यों था? (ऐसा कहते है कि योनातान  ने दाऊद को अपने जैसा प्यार किया . यीशु भी हमसे यही चाहता है. मत्ती 22:39.)
  •   पढ़ें 2 शमूएल 9:2-3. योनातन के इस बेटे के पास किस तरह की ताकत और प्रभाव था? (कुछ भी नहीं . तो उसके पास  शारीरिक शक्ति थी और न ही राजनीतिक प्रभाव था. वह यह सब कुछ भूल चूका था.)
  •  A. दाऊद ने इस बेटे को जिसका नाम है मपीबोशेत है, लाने के लिए लोगों को भेजा.2 शमूएल 9:68 पढ़ें. क्या मपीबोशेत को दाऊद का डर  था? यदि हां, तो क्यों? (राजा शाऊल उसका दादा था. हों सकता है दाउद ने शाऊल के वंश के सभी लोगों को मार डालना  महत्वपूर्ण समझा हों ताकि वे गद्दी का दावा न कर पाएं.)

2.   मरे हुए कुत्ते को  देखने  के बारे में मपीबोशेत के सवाल का  तुम्हारे पास क्या जवाब है? (ऐसा योनातान के प्रेम के कारण हुआ. योनातन,जो कि इससे काफी  पहले  युद्ध में मारा जा चुका था.

  •   A दाऊद मृतक व्यक्ति के बेटे के प्रति दयालुता दिखाता है. दाऊद को इस दयालुता से आगे कुछ नहीं मिलता, और, यह बहुत ज्यादा हानी वाला हो गया (देखें 2 शमुएल 16:3-4. हम इस कहानी से दयालुता के बारे में क्या सबक ले सकते हैं? ( यह योनातान का  दाऊद के प्रति निस्वार्थ प्रेम से शुरू हुआ. हमारा पहला कदम दयाऊलता पाने के लिए है यदि हम दुसरे के प्रति निस्वार्थ प्रेम दिखाएँ)

दया का हक़दार होना 

  • पढ़ें मत्ती 5:43-48. दाऊद और मपीबोशेत  की कहानी यीशु के इस शिक्षण में कैसे फिट बैठती है?(यह बहुत अच्छी तरह से फिट नहीं बैठती है. दाउद मपीबोशेत से कुछ भी उम्मीद नहीं रखता है लेकिन दाऊद दया में योनातान की दया प्रतिबिंबित होती है.)
इस पाठ में यीशु हमें प्यार( और दयालुता)के बारे में क्या सिखा रहें है? (दाउद वही कर रहा था जिसकी हम उम्मीद कर सकतें थे. यीशु हमें  उम्मीद से अधिक करने की शिक्षा देता है. जो तुम्हारे प्रति दयावान नहीं हैं तुम उनके प्रति दयावान बनो.
  • क्या यह शिक्षण तुम्हारी शादी के लिए लागू होता  है? (यदि कोई जिसे मैं प्यार करता हूँ, मेरा अपमान करता है, तो यह स्वाभाविक है कि मैं पीछे हट जाऊँगा. मेरे विचार से  "उदासी " छा जायेगी. यीशु कहता है कि पीछे मत हटो, जो तुम्हें चोंट पहुंचाएं उनका तुम अभिनन्दन करो.
विनम्रता और दयालुता
  • क्या तुम ऐसे समय को याद कर सकते हों जब तुमने जान बूझकर किसी पर दया नहीं की ?
  • यदि हां, तो एक क्षण ले और ये जानने की कोशिश करें कि ऐसा क्यों किया ?
  • A मत्ती 11:28-30., पिछले हफ्ते हमने इस पाठ का अध्ययन किया, लेकिन मैं फिर से इसे दोहराना  चाहता हूँ. क्या आपको लगता है कि कोमल होने का मतलब दयालु होना है?
  • क्या आपको लगता है विनम्रता दयालुता से संबंधित है?
यदि नहीं, तो उस समय का स्मरण करें जब तुमने जानबूझकर किसी के प्रति दया दिखाने में रोक लगाई थी.क्या इसकी वजह तुम्हारा उस व्यक्ति से गुस्सा या नाखुश होना था ? और क्या तुम्हे ऐसा लगा कि उस व्यक्ति की मदद करने से तुम नीचे हों जाओगे ?
यदि आपका जवाब इन प्रश्नों के लिए "हाँ" है तो क्या विनम्रता (तुम्हारी तरफ से )से इस समस्या का हल हों गया है? (हाँ!)
a उदाहरण के लिए, तुम कितनी बार नाराज या दुखी होते हों जब कोई तुम्हें अपमानित करता है?
यदि आप अधिक विनम्र थे, तो क्या तुम अपने को दूसरों से अच्छा समझते ?"
  • हों सकता है कि आप इस निष्कर्ष पर  रहें हों  कि विनम्रता एक चावी है दयालुता की . चूँकि यीशु हमें "विनम्र और दिल में विनम्र" होना सिखाता है (मत्ती 11:29), आप विनम्र होना कैसे सीखेंगे? अंततः यीशु के अनुसार ये गुण सीखा जाता है (विनम्र बनने का एक तरीका यह है कि अपमान सहो.)
  • चलो हमारी इस चर्चा की समीक्षा करें. दाउद ने योनातान के बेटे के प्रति दया दिखाई क्योंकि पहले योनातान ने दाऊद के प्रति दया दिखाई. लेकिन, यीशु हमें सिखाता है कि हम हर किसी के प्रति दया दिखाएँ चाहे वो हमें अपमानित भी करें. (मत्ती 5:43-46)
  • अपमानित होने का क्या लाभ? (आमतौर पर, जब भी मैं उस समय के बारे में सोचता हूँ जब मैंने वास्तव में बेईज्ज़ती महसूस की , ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मुझे अपमानित किया गया . अपमानित होना मुझे विनम्र होना सीखाता है.)
  • क्या तुम अब ये समझ सकते हों कि क्यों यीशु ने हमें कोमल और विनम्र होना सिखाया है? (विनम्रता सीखने से दया का मार्ग बन जाता है !)
I . कोमल जीभ 
  • पढ़ें नीतिवचन 15:1 और नीतिवचन 25:15. पिछले सप्ताह हम धैर्य का अध्ययन किया, अब हम जा रहा तरह का अध्ययन. जीभ से हड्डियों को तोड़ सकते हैं?
  • एक 'कोमल जीभ क्या हो सकती है? (वह जो दया से भरपूर होती है.)
  • आपके अनुभव के अनुसार,क्या एक शालीन  जवाब किसी  दुसरे  व्यक्ति को नाराज़  होने से बचा सकता है?
  • मत्ती 12 में हम पाते हैं कि धार्मिक नेताओं ने यीशु पर शैतान की ताकत का इस्तेमाल करके अपने चमत्कार करने का आरोप लगाया है. पढ़ें मत्ती 12:34 और मत्ती 23:33. क्या यीशु कोमल उत्तर वाली  कहावत भूल गए? यीशु के मन में यह क्या था जब उसने  हमारे दुश्मन का "स्वागत" करने को  कहा: "नमस्कार, सांप! नरक में जल जा."
  • ये सबक मैं हर हफ्ते लिखता  हूँ,जिसके  कारण  अनगिनत  ई मेल आती  हैं. कुछ लिखते  है कि उनके  मेल सबक क्यों  नहीं आये. (जवाब दे, फिर से साइन इन करें.) कुछ मेरे पाठ लिखने के लिए धन्यवाद करते  हैं. और कुछ सवाल मौखिक बम छोड़ते  हैं. पिछले हफ्ते एक पाठक  ने  बाइबिल भविष्यवाणी को समझने के सिद्धांतों से सम्बंधित पाठ पढ़ा, और उसने मुझे मैं झूठ बोल रहा था ये बताने के लिए पत्र लिखा. मैंने उसे वापस लिखा है कि वह अपनी बाइबिल का और अधिक अध्ययन करे और अधिक परिपक्व बने. उन्होंने जवाब दिया कि मैं मूर्ख था. जाहिर है, मैं उसके  मदद  कर रहा था. क्या 'नमस्ते सांप "हमारे लिए सही प्रतिक्रिया है?
"नमस्ते  सांप" यह  प्रतिक्रिया विनम्रता  में  कैसे फिट होती है?
कितनी बार आपने तीखे, या एक मजाकिया, कठोर प्रतिक्रिया से  भरे शब्दों  का, उपयोग इस  प्रदर्शन के  लिए  किया  हैं कि आप अपने प्रतिद्वंद्वी से अधिक समझदार हैं?
यह विनम्रता में कि कैसे फिट होता है?
(मैं दूसरे व्यक्ति को विनम्रता सीखने  में "मदद कर रहा हूँ"
एक स्वीकार्य जवाब नहीं है!)
  • A. जब यीशु हमें बताता है के लिए "मुझसे सीखो" (मत्ती  11:29)क्या इसका  मतलब है कि हम बिल्कुल वैसा ही कर सकते हैं जैसा उसने किया सकता है? (क्या मैं यह  चिंता करूँ कि यीशु ज़हर उगलने वाले का दिल जानता था, और मैं नहीं. हालांकि मैं अब भी इस मुद्दे के साथ संघर्ष कर रहा हूँ, मुझे लगता है कि यह घमंड है जो मुझे अन्य चीजों से ज्यादा  ज़हरीली टिप्पणीयां करने के लिए  प्रेरित करता है. क्यों नहीं तुम अपने मन को इन ज़हरीली टिप्पणीयां के लिए परखते हो.
  • A. दोस्त, दयावान होना हम पवित्र आत्मा कि शक्ति से सीख सकते हैं. दयालु होने के मार्ग में प्रेम तथा विनम्रता शामिल है. क्या  तुमअभी, पवित्र आत्मा को अपने हृदय में प्रेम, विनम्रता तथा दया के विकास के लिए आमंत्रित करोगे?
अगले सप्ताह: आत्मा का फल भलाई है.

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