Sunday, June 6, 2010

तुम कौन हो? / Who are you?

तुम कौन हो?
परमेश्वर का मंदिर हो
पढ़ें 1 कुरिन्थियों 6:19-20
क्या तुम नहीं जानते की तुममें से प्रत्येक की देह पवित्र आत्मा का मंदिर है, जो तुममें है और जिसे तुमने परमेश्वर
से पाया है, और की तुम अपने नहीं हो |
एक बहती नदी हो
पढ़ें यहेजकेल 47:9-12
और फिर ऐसा होगा की जहाँ-जहाँ यह नदी बहती है वहां-वहां बहुत झुण्ड में रहने वाले हर प्रकार के प्राणी जीवन पाएंगे | वहां अत्यधिक मछलियाँ पाई जायेंगी क्योंकि वह जल जहाँ-जहाँ जाता है वहां का जल मीठा हो जाता है| अतः जहाँ जहाँ यह नदी पहुंचेगी वहां-वहां सब कुछ जीवित रहेगा | तब ऐसा होगा मछुए उसके तट पर खड़ा हुआ करेंगे | एन्गादी से एनेग्लैम तक जाल डालने का स्थान हगा, महासागर के सामान वहां अनेक प्रकार की बहुत सी मछलियाँ पाई जायेंगी | परन्तु उसके पास के दलदल और गड्ढों का जल मीठा ना होगा, वे स्थान नमक के लिए छोड़ दिए जायेंगे | और नदी के तट पर दोनों तरफ खाने के लिए सब प्रकार के वृक्ष उगेंगे | उनके पत्ते मुरझाएंगे नहीं और उनकेफल समाप्त नहीं होंगे | वे हर महीने फलते रहेंगे क्योंकि उनको सींचने वाला पानी पवित्र स्थान से बहता है, उनके फल भोजन के लिए और पत्ते चंगाई के लए काम आएंगे|
फल आप के चारों ओर हैं
आपकी उपस्थिति दूसरों के लिए चंगाई है
इसका मतलब है, आप पवित्र बने रहने के लिए बुलाये गएँ है
लेकिन पाप अभी भी एक समस्या है
सही है!
पढ़ें गलातियों 5:21
और; ईर्ष्या मतवालापन, रंगरेलियां तथा इस प्रकार के अन्य काम हैं, जिनके विषय में, मैं आपको चेतावनी देता हूँ जैसा पहले चेतावनी दे चुका हूँ कि ऐसे-ऐसे काम करने वाले तो परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे| पौलुस पहले विश्वासियों को क्या चेतावनी दे चुका है?
पढ़ें 1 कुरिन्थियों 6:9-10
क्या, तुम नहीं जानते कि दुष्ट लोग परमेश्वर के राज्य के अधिकारी नहीं होंगे? धोखा ना खाओ; ना व्यभिचारी, ना मूर्तिपूजक, ना परस्त्री गामी, ना कामातुर, ना पुरुषगामी, ना चोर, ना लोभी, ना पियक्कड़, ना गलियां बकने वाले, और ना लुटेरे परमेश्वर के राज्य के उत्तराधिकारी होंगे|
इन वचनों से पता चलता है कि इस तरह की जीवन शैली जीने वाले लोग हैं| यह हमारे इस प्रकार के व्यवहार के लगातार होने वाले स्वभाव से सम्बंधित है
इसका मतलब है, कि यह एक आदमी की आदत है और वह बदल नहीं रहा है
इसका मतलब यह नहीं कि यदि एक बार आपने पाप कर लिया तो आप नरक में जाने के लिए बाध्य हो गएँ है
1 युहन्ना 1:7 हमें बताता है कि यदि हम अपने पापों को अंगीकार कर लें तो परमेश्वर उन्हें और हमारे अपराधओं को भी हटा देगा
तो परमेश्वर के प्यारे बच्चों इस प्रकार के व्यवहार के पाप से सचेत रहो, वे खतरनाक होते हैं जैसे जैसे हम हमारे मंदिर (शरीर) की सफाई की दिशा में कदम उठाये, यह महत्वपूर्ण है कि हम पवित्र आत्मा के फल के बारे में जाने
यह कुछ इस प्रकार हैं कि हम जानते हैं कि हर अच्छा काम जो हम करते हैं हमारे लिए एक अच्छा नाम देगा, प्रोत्साहन देगा या कुछ इनाम देगा तो हम उसे पूरे यत्न से करतें हैं
चलो पढ़ें गलातियों 5:22-23
लेकिन आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, शांति, धैर्य, दया, भलाई, विश्वास, नम्रता और आत्म नियंत्रण है| ऐसे कामों के विरूद्ध कोई व्यवस्था नहीं है
मुझे यह वचन बहुत प्रिय हैं और मुझे सदा से यह बात भी बहुत प्रिय है, जब भविष्यवक्ता ने मेरे लिए यह भविष्यवाणी की कि तुम परमेश्वर के द्वारा चुनी गई हो, तुम यहोशू की पीढ़ी हो
क्या तुम जानते हो ऐसा क्यों?
ऐसा दो बातों के कारण है
1. मूसा की दोषारोपण आत्मा अब नहीं है
2. हम अपने चुने हुए स्थान में प्रवेश करेंगे.
यह कितना सुन्दर और मनभावन विचार है!
हम में से कितने लोग यह जानते हैं कि एक फल को बढ़ाने और पकाने में समय लगता है?
मैं विश्वास करती हूँ कि हम सब यह जानते है.
क्या आप जानते हैं कि पवित्र आत्मा का केवल एक फल है लेकिन आपने सोचा कि नौ थे?
सही है?
नहीं!
सिर्फ एक ही फल है!
क्या यह आश्चर्यजनक नहीं है?
मैंने हमेशा पवित्र आत्मा के फल का अध्ययन किया लेकिन इस सच्चाई को कभी नहीं खोजा
लेकिन आज मैं आपको बताना चाहूंगी कि पवित्रा आत्मा के फल के 9, नहीं लेकिन 12 स्वाद हैं.
क्या आप और अधिक धन्य होने के लिए तैयार हैं?
क्या इस बारे में कोई शक है?
यदि नहीं, बहुत अच्छा,तुम कुछ नया सीखोगे
यदि हाँ तो ध्यान से सुनो
पवित्र आत्मा का फल प्यार है -> प्यार के लिए विनम्रता की जरूरत है -> विनम्रता -> जिसके माध्यम से दयालुता है -> दयालुता -> जिसके माध्यम से धैर्य है -> धैर्य/सब्र -> जिससे शांति जो खुशी देती है -> खुशी -> खुशी एक व्यक्ति को प्यार और दयालुता से भरती है!
हमारे आसपास के लोग शांति प्यार खुशी आदि की नदी,के लिए प्यासे हैं, पैसे या संपत्ति के लिए नहीं
उन्हें ऐसी नदी की जरूरत है जो परमेश्वर के मंदिर से बहती है, जो समृद्धि, आश्रय, फल, शांति, और खुशी का उत्पादन करेगा
तुम कौन हो?
याद रहें कि तुम परमेश्वर का मंदिर हो!
अपने आप को परमेश्वर के पात्र की तरह देखो
अपने आप को दूसरों की प्रार्थना करते हुए देखो
अपने आप को दूसरों के लिए आशीष के रूप में देखो
लोगों को आशीषित होता हुआ देखो
क्योंकि नदी तुमसे बह रही है
बोलो परमेश्वर से कि तुम्हें प्रयोग में लाये
क्योंकि तुम उसका मंदिर हो, इसलिए अपने आप को दोष रहित रखो
आमीन

Who are you? 
The Temple of God
Read 1 Corinthians 6:19-20, Do you not know that your body is a temple of the Holy Spirit, who is in you, whom you have received from God? You are not your own; you were bought at a price. Therefore honor God with your body.
A flowing river
Read Ezekiel 47:9-12, Swarms of living creatures will live wherever the river flows. There will be large numbers of fish, because this water flows there and makes the salt water fresh; so where the river flows everything will live. Fishermen will stand along the shore; from En Gedi to En Eglaim there will be places for spreading nets. The fish will be of many kinds—like the fish of the Great Sea. But the swamps and marshes will not become fresh; they will be left for salt. Fruit trees of all kinds will grow on both banks of the river. Their leaves will not wither, nor will their fruit fail. Every month they will bear, because the water from the sanctuary flows to them. Their fruit will serve for food and their leaves for healing.
Fruit is growing around you
Your presence bring healing to others
It means you are called to be holy.
But sin is still a problem
Right!
Let’s read Galatians 5:21,
..and envy; drunkenness, orgies, and the like. I warn you, as I did before, that those who live like this will not inherit the kingdom of God.
What did he tell the believers before?
Read 1 Corinthians 6:9-10, Do you not know that the wicked will not inherit the kingdom of God? Do not be deceived: Neither the sexually immoral nor idolaters nor adulterers nor male prostitutes nor homosexual offenders 10nor thieves nor the greedy nor drunkards nor slanderers nor swindlers will inherit the kingdom of God
These scriptures indicate that there are people living a lifestyle like this. It shows us the continuous action of such type of behavior. 
It means it is a man's habit and he is not changing. 
This does not mean that once you have committed this type of sin that you are bound to go to hell.
1 John 1:7 tells us that if we confess our sins, God will remove them and also the guilt.
So dear Children of God, be aware of habitual sins, they are dangerous. As we move towards the cleansing of our temple(body), it is important to know the fruits of the spirit.
It is like how we know that every good work we do which we know will bring us a good name, encouragement, or some reward, we tend to do that diligently. 
Let's read Galatians 5:22-23
But the fruit of the Spirit is love, joy, peace, patience, kindness, goodness, faithfulness, gentleness and self-control. Against such things there is no law.
I love these words and I always have loved it when I heard someone prophesy over me saying that you are the chosen one, you are the Joshua generation.
Do you know why?
Because of two things,
1 - The judging spirit of Moses is over
2 - We will enter into our promise land.
What an awesome and pleasing thought! 
How many of us know that a fruit takes time to grow and ripen?
I believe all of us do.
Do you know that there is only one fruit of the Holy Spirit but you thought there were nine?
Right?
No!
But there is only one fruit!
Isn't it amazing?
I always studied the fruit of the Holy Spirit but never discovered this truth. 
But today I will tell you that there are not 9 but 12 flavors of the fruit of the Holy Spirit. 
Are you ready to be blessed more!
Do you have any doubts about it?
If No, very good, you will learn something new today
If yes, then listen carefully
Fruit of the Holy Spirit is Love --> for loving humility is needed --> Humility --> through which we have kindness --> Kindness --> through which we will have patience --> Patience --> which allows peace to produce joy --> Joy --> a joyous person is loving and kind! Can you see God is love and His fruit is one!
People around us are thirsty for their river of love joy peace etc, not of position, not of money or property.
They need the river to flow from the temple of God, which will produce prosperity, shelter, fruit, peace, productivity, and joy
Who are you?
Remember you are the temple of God!
Stand on your feet, ask God to use you to help other
See yourself as God's vessel 
See yourself praying for others
See yourself a blessing for others
See people get blessed
Because river is flowing from you
Ask God to use you for others
Cry and pray in tongues

Amen

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